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Reuters

हाल में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को तीन हिंदी भाषी राज्यों में मिली करारी हार के बाद केंद्र सरकार किसानों को लुभाने के लिए कोई बड़ा कदम उठा सकती है. माना जा रहा है कि किसानों के लिए मोदी सरकार 2019 लोकसभा चुनाव से पहले बड़े स्तर पर वित्तीय पैकेज सहित कई प्रोत्साहनों पर विचार कर रही है. ऐसी अटकलों के बीच वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट कर सरकार से पूछा कि नई योजनाओं के लिए पैसा कहां है?

पी चिदंबरम ने कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार की योजना किसानों को एमएसपी और बाजार मूल्य के अंतर का भुगतान करने की है. उन्होंने कहा कि यह मध्य प्रदेश में बीजेपी द्वारा पहले ही आजमाया जा चुका है लेकिन इससे कर्ज में डूबे किसानों को कोई राहत नहीं मिली थी.

चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि कांग्रेस सरकार की कर्ज माफी सिर्फ चुनाव जीतने के लिए है, तो क्या हम मान लें की पीएम मोदी की किसान राहत योजना चुनाव हारने के लिए है. उन्होंने कहा कि एमएसपी और बाजार मूल्य के अंतर के भुगतान योजना से केवल उन्हीं किसानों को मदद मिलेगी, जिसके पास मार्केटेबल सरप्लस है. उन किसानों का क्या जिनके पास मार्केटेबल सरप्लस नहीं है और वे भी कर्ज में हैं.

इसके साथ ही चिदंबरम ने पूछा कि 8 महीने का रेवेन्यू कलेक्शन लक्ष्य से 50 प्रतिशत कम है और राजकोषीय घाटा अनुमान का 115 प्रतिशत है. ऐसे में नई योजनाओं के लिए धन कहा हैं?

दरअसल, हाल में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को करारी हार मिली है. हिंदी हार्टलैंड कहे जाने वाले मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी 15 साल से सत्ता में थी. इसके अलावा बीजेपी को राजस्थान में भी हार का सामना करना पड़ा. दूसरी तरफ इन राज्यों में सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस ने सरकार बनते ही तीनों राज्यों में किसानों की कर्जमाफी का ऐलान कर दिया. अब ऐसी चर्चा चल रही है कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी भी किसानों को लुभाने के लिए कुछ बड़ा ऐलान कर सकती है.

सरकार ग्रामीण आय को बढ़ाने के लिए अपने नेताओं, सांसदों और अन्य लोगों से चर्चा कर इस मामले पर बड़ा फैसला लेगी. 5 जनवरी को खत्म हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र से पहले ही इसपर सरकार घोषणा कर सकती है. सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के साथ व्यापक कृषि राहत योजना पर चर्चा की है.

उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय ने इस संबंध में एक खाका तैयार किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने पेश किया. इसमें किसानों को प्रभावित कर रहे और कृषि क्षेत्र की बदहाली के लिए जिम्मेदार विभिन्न कारकों के समाधान के बारे में बताया गया है. मंत्रालय ने सात राज्यों द्वारा की गई कृषि ऋण माफी, ओडिशा जैसे राज्यों में लागत पर दी गई छूट और तेलंगाना की ऋतु बंधु योजना समेत राज्यों के विभिन्न मॉडलों का अध्ययन किया.

सूत्रों ने कहा, 'मंत्रालय ने प्रधानमंत्री के साथ बैठक में एक प्रेजेंटेशन दी और बैठक के दौरान कृषक समुदाय के सामने आ रही दिक्कतों एवं लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें दी जा सकने वाली राहतों पर चर्चा की.' सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार लोन माफी की योजना से आगे जाना चाहती है.

प्रधानमंत्री ने भी गुरुवार को हिमाचल में एक रैली को संबोधित करते हुए इस तरफ इशारा किया और कहा कि कांग्रेस ने कर्ज माफी सिर्फ चुनाव जीतने के लिए की थी. उन्होंने इशारा किया कि बीजेपी किसानों के लिए कर्ज माफी से अच्छा करने वाली है.