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हाल ही संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में जबरदस्त बहुमत के साथ दोबारा देश की सत्ता सँभालने वाले पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए आयकर विभाग के 12 वरिष्ठ अधिकारियों की छुट्टी कर दी है। सूत्रों ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया है कि जिन अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है, उनमें से एक जॉइंट कमिश्नर रैंक के अधिकारी भी शामिल हैं। इनमें से कुछ अफसरों पर रिश्वत, जबरन वसूली तो एक पर महिला अफसरों का यौन शोषण करने के गंभीर आरोप लगे थे।

अफसरों की इस लिस्ट में सबसे पहला नाम एक जॉइंट कमिश्नर की रैंक के अफसर का है, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार और तांत्रिक चंद्रास्वामी की मदद करनेवाले कारोबारियों से जबरन वसूली की गंभीर शिकायतें मिली थीं।

समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक, इनमें एक आईआरएस अधिकारी भी हैं जो नोएडा में कमिश्नर (अपील) के पोस्ट पर तैनात थे। उन पर कमिश्नर रैंक की ही दो आईआरएस महिला अफसरों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। जबरन रिटायर किए गए एक और आईआरएस अफसर ने अपने और परिवार के दूसरे सदस्यों के नाम 3.17 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियां अर्जित कर ली थी। चल और अचल संपत्तियां उन्होंने कथित तौर पर अपने पद के दुरुपयोग, भ्रष्टाचार और गैरकानूनी तरीके से जुटाई थी।

इनमें आयकर विभाग के एक कमिश्नर भी हैं, जिनके खिलाफ सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया था। उन्हें अक्टूबर 2009 में सेवा से निलंबित कर दिया गया था। उन पर आपराधिक मुकदमा लंबित था। अब सरकार ने इन्हें भी जबरन रिटायर कर दिया है।

एक और वरिष्ठ अधिकारी भ्रष्टाचार और वसूली के कई मामलों में लिप्त पाए गए। उन्होंने कई गलत और बदनीयत से आदेश जारी किए थे, जिसे बाद में अपीलीय अथॉरिटीज द्वारा पलट दिया गया था। इन्हें भी सरकार ने सेवा से बर्खास्त कर दिया है।

एक अफसर के पास से 1.55 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति का पता चला, जो उनके आय के ज्ञात स्रोतों से 133.71 फीसदी ज्यादा है। इन्होंने पैसे को ठिकाने लगाने के लिए हवाला चैनलों का भी इस्तेमाल किया। अब सरकार ने इन्हें भी जबरन रिटायर कर दिया है।

कमिश्नर रैंक के एक और अधिकारी पर गाज गिरी है। इन्हें फर्जी कंपनी के एक मामले में राहत पहुंचाने के लिए एक कारोबारी से 50 लाख की रिश्वत मांगने का आरोप था। इन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गैरकानूनी तरीके से 3.13 करोड़ की बेहिसाब संपत्तियां अर्जित कर ली थी। सरकार ने इन्हें भी जबरन रिटायर कर दिया है।

रूल 56 का इस्तेमाल ऐसे अधिकारियों पर किया जा सकता है जो 50 से 55 साल की उम्र के हों और 30 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। सरकार के द्वारा इन अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट दिया जा सकता है। ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद बेहतर प्रदर्शन न करने वाले सरकारी कर्मचारी/अधिकारी को रिटायर करना होता है। सरकार के जरिए अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट दिए जाने का यह नियम काफी पहले से प्रभावी है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।