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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में तेज-तर्रार मंत्री स्मृति ईरानी ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीति से संन्यास लेंगे, उसी दिन वह भी सियासत को अलविदा कह देंगी. केंद्रीय मंत्री ने ये बात 'वर्ड्स काउंट महोत्सव' में एक परिचर्चा के दौरान कही. हालांकि स्मृति ईरानी ने कहा कि अभी नरेंद्र मोदी कई सालों तक राजनीति में रहेंगे.

बता दें कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी रविवार को पुणे के एक कार्यक्रम में थीं. जब एक श्रोता ने उनसे पूछा कि वह कब 'प्रधान सेवक बनेंगी. इस सवाल का जवाब देते हुए स्मृति ईरानी ने कहा, 'कभी नहीं, मैं राजनीति में देश के अच्छे नेताओं के साथ काम करने के लिए आई हूं. इस मामले में मैं बेहद सौभाग्यशाली रही हूं कि स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जैसे दिग्गज नेता के नेतृत्व में काम किया और अब मोदी जी के साथ काम कर रही हूं.'

उन्होंने कहा कि ऐसे में जिस दिन 'प्रधान सेवक' नरेंद्र मोदी राजनीति से संन्यास ले लेंगे, मैं भी भारतीय राजनीति से अपने आपको अलग कर लूंगी. दरअसल प्रधान सेवक शब्द का इस्तेमाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए किया जाता है.

हाल ही में ईरानी को कांग्रेस पर धारदार हमले के लिए प्रवक्ता बनाया गया है, क्योंकि वह हाजिरजवाब और स्पष्ट वक्ता हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में ईरानी ने कांग्रेस के गढ़ अमेठी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चुनौती दी थी. नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों पर आरोपों के संबंध में बीजेपी की ओर से हमला करने में वह हमेशा मुखर रही हैं. विवादित राफेल विमान सौदे को लेकर सरकार पर कांग्रेस द्वारा लगाए जा रहे आरोपों पर उन्होंने कई बार स्पष्ट तरीके से पार्टी का नजरिया पेश किया है.

बीजेपी ने पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के बयान पर पलटवार करने के लिए ईरानी को उतारा था. चिदंबरम ने फ्रांस से राफेल विमान खरीद के सौदे से संबंधित एक अखबार की रपट को लेकर बीजेपी पर हमला किया था. हाल ही में प्रधानमंत्री को फिलिप कोटलर प्रेसीडेंशियल अवार्ड से सम्मानित किए जाने पर राहुल गांधी द्वारा किए गए उपहास का ईरानी ने करारा जवाब दिया था.

बता दें कि बीजेपी के कद्दावर नेताओं में स्मृति ईरानी का नाम आता है. मौजूदा समय में गुजरात से राज्यसभा सदस्य हैं. वो दूसरी बार राज्यसभा सदस्य चुनी गई हैं. बीजेपी ने उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी संसदीय सीट से उतारा था. हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में वो जीत नहीं सकी थीं.
हालांकि नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद उन्हें केंद्रीय मंत्री पद से नवाजा गया था. इसके बाद से वो अमेठी में लगातार सक्रिय हैं. नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों पर आरोपों के संबंध में बीजेपी की ओर से हमला करने में वह हमेशा मुखर रही हैं.