सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी को भी कानून हाथ में लेने का हक़ नहींIANS File Photo

मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा की गई हत्या) की घटनाओं पर एक बार चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संसद को इसे लेकर एक अलग कानून बनाना चाहिए.

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि भीड़ की हिंसा से कड़ाई के साथ निपटा जाना चाहिए. शीर्ष अदालत के मुताबिक किसी भी नागरिक को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने ये बातें महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी और सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला के द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहीं. पूनावाला ने गोरक्षा के नाम पर भीड़ द्वारा की जा रही हिंसा को रोकने के लिए याचिका दायर की थी जबकि तुषार गांधी ने अपनी याचिका में कहा था कि राज्य सरकारें इस मामले में शीर्ष अदालत द्वारा जारी निर्देशों का पालन नहीं कर रही हैं.

अदालत ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 28 अगस्त मुकर्रर की है.

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इसके पहले जुलाई में भी शीर्ष अदालत ने कहा था कि भीड़ द्वारा हो रही हिंसा, चाहे वह गोरक्षा के नाम पर हो रही हो या किसी और वजह से, को रोकना राज्यों की जिम्मेदारी है

सितंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए राज्यों के प्रत्येक जिलों में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी नियुक्त करने की बात कही थी. इसके बाद जनवरी में कोर्ट ने तीन राज्य सरकारों से से पूछा था कि उन्होंने कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं किया.