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न्यूजीलैंड में 2 मस्जिदों में हुए भारी खूनखराबे के पीछे की कहानी साफ हो गई है। हमलावर मुसलमानों से बदला लेना चाहता था। ऑस्ट्रेलिया के श्वेत नागरिक ब्रेंटन टैरंट (28) ने गोलीबारी से पहले मैनिफेस्टो में लिखा था कि उसे प्रवासियों से सख्त नफरत है। यूरोप में मुसलमानों द्वारा किए गए हमलों से वह काफी गुस्से में था और इसलिए बदला लेना चाहता था। ऐसा कर वह डर का माहौल पैदा करना चाहता था और अटेंशन भी पाना चाहता था।

हमले के फौरन बाद पुलिस ने मुख्य हमलावर का नाम तो नहीं बताया। हालांकि जल्द ही सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए टैंरट के 74 पेज के दस्तावेज से काफी चीजें स्पष्ट होती गईं। उसने लिखा था कि वह हमला कर जीवित बचना चाहता है जिससे मीडिया में अपने विचारों को बेहतर तरीके से प्रचारित कर सके। उसने खुद को शांत और अंतर्मुखी बताया था।

आपको बता दें कि क्राइस्टचर्च की अल नूर मस्जिद में लोगों पर गोलियां बरसाते हुए उसने खूनी खेल की लाइव स्ट्रीमिंग भी की थी। इस हमले में कम से कम 42 लोगों की मौत हो गई जबकि सिटी की दूसरी मस्जिद में हुए हमले में 8 लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने अभी यह नहीं बताया है कि क्या एक ही व्यक्ति दोनों हमलों के लिए जिम्मेदार है?

हालांकि मुख्य आरोपी के मैनिफेस्टो और विडियो से जनता को हमले के कई महत्वपूर्ण संकेत मिल गए हैं जिससे साफ हो गया है कि आखिर टैरंट ने बड़ी संख्या में निर्दोष लोगों की हत्या क्यों की? हमले के समय जुमे की नमाज के लिए लोग मस्जिद में इकट्ठा हुए थे। न्यू जीलैंड के लोगों ने इतना बड़ा नरसंहार कभी नहीं देखा था।

अमेरिका से उलट यहां से फायरिंग की खबरें बिल्कुल नहीं आती हैं। आलम यह है कि न्यू जीलैंड के पुलिस अफसर भी गन कम ही रखते हैं। गनमैन ने खुद न्यू जीलैंड के सुदूर इलाके और शांति को देखते हुए इसे हमले के लिए चुना था। हमलावर ने लिखा था कि न्यू जीलैंड जैसे देश में हमले से स्पष्ट संदेश जाएगा कि धरती पर कोई जगह सुरक्षित नहीं है और न्यू जीलैंड जैसे सुदूर देश में भी बड़ी संख्या में प्रवासी आ गए हैं। उसने बताया है कि वह पढ़ने-लिखने में काफी पीछे था।

अपने मैनिफेस्टो में टैरंट ने स्टॉकहोम में एक उज्बेक व्यक्ति द्वारा भीड़ पर ट्रक चढ़ाने की घटना का जिक्र किया है, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई थी। 2017 में तब वह पश्चिम यूरोप में घूम रहा था। इस हमले में 11 साल की एक स्वीडिश बच्ची की मौत ने उसे अंदर से झकझोर दिया था। यहां से जब वह फ्रांस पहुंचा तो शहरों और कस्बों में प्रवासियों की भीड़ देखकर हिंसा पर उतारू हो गया।

करीब तीन महीने पहले उसने क्राइस्टचर्च को टारगेट करने की योजना बनाई। उसने दावा किया है कि वह किसी संगठन का सदस्य नहीं है। हालांकि उसने यह भी लिखा है कि उसने कई अति राष्ट्रवादी संगठनों को दान दिया है। उसने एक ऐंटी-इमिग्रेशन ग्रुप से संपर्क भी किया था। उसे इस हमले के लिए ऐंडर्स ब्रीविक से काफी प्रेरणा मिली। ब्रीविक नॉर्वे का एक दक्षिणपंथी कट्टरपंथी है जिसने ओस्लो और पास के एक द्वीप में 2011 में 77 लोगों की हत्या कर दी थी। ब्रीविक से मुलाकात की खबरों पर उनके वकील ने बताया है कि ब्रीविक जेल में हैं और उनसे कम लोग ही मिल पाते हैं ऐसे में साफ है कि हमलावर उनसे नहीं मिल पाया होगा।

2011 के बाद उसने पाकिस्तान और नॉर्थ कोरिया का भी दौरा किया था। गनमैन ने हमले का कई मकसद तय किया था। उसने उम्मीद जताई थी कि इसके बाद इमिग्रेशन घटेगा। उसे लग रहा था कि इस हमले के बाद अमेरिका में बंदूक कानून को लेकर संघर्ष बढ़ेगा। वैसे तो उसने दावा किया कि वह नाजी नहीं है लेकिन लाइव विडियो में उसकी राइफल पर 14 नंबर लिखा दिखा। इसे हिटलर के '14 वर्ड्स' से जोड़कर देखा जा रहा है। उसे अपने किए पर पछतावा नहीं था। हमले के दौरान वह खुश दिख रहा था और शुरुआत में ही उसने कहा था, 'आओ, पार्टी शुरू करते हैं।'