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राजस्थान में विधानसभा चुनाव से कुछ वक्त पहले वसुंधरा राजे सरकार सरहदी जिले बाड़मेर के गांव मियों का बाड़ा के नाम को महेश नगर में बदल रही है. इसके लिए गृह मंत्रालय से मंजूरी भी मिल गई है. जानकारी के मुताबित गृह मंत्रालय को राज्य की बीजेपी सरकार ने इस साल की शुरुआत में प्रस्ताव भेजा था, जिसे गृह मंत्रालय ने अपनी मंजूरी दे दी है. 250 घरों की आबादी के इस गांव में दो हजार की जनसंख्या है जिसमे से मात्र चार परिवार अल्पसंख्यक समुदाय के हैं.

वहीं गांव के सरपंच का कहना है कि मियों का बाड़ा का नाम बदलने की मांग 10 साल पुरानी है.उनका कहना है कि 'इस गांव लोग भगवान शिव के आराध्य होने की वजह से इसका नाम महेश नगर रखा गया है. इसके पहले इसका यही नाम था. लेकिन वक्त के साथ लोगों की बोली में बदलाव और पलायन के चलते इसे मियों का बाड़ा बुलाया जाने लगा.

स्वतंत्रता पूर्व इस गांव का नाम था महेश रो बाड़ो, बाद में गांव को कहा जाने लगा मियां का बाड़ा, अब मियों का बाड़ा का नया नाम महेश नगर. नाम परिवर्तन में विवाद होने को वजह यह भी हो सकती है कि एक समुदाय विशेष को स्थानीय भाषा मे मियां कहा जाता है.

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राज्‍य सरकार ने 27 ऐसे गांवों के नाम बदलने के प्रस्‍ताव दिए थे. हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से फिलहाल केवल आठ गांवों के नाम बदले जाने के प्रस्‍ताव को मंजूरी दी गई है.

'मियां का बाड़ा' अकेले महेश नगर नहीं बना है बल्कि अजमेर जिले के किसनगढ़ के सलेमाबाद का नाम भी बदलकर श्री निंबार्क तीर्थ कर दिया गया है.  झूंझनू में दो इस्माईलपुर हैं जहां पर केवल हिंदुओं की आबादी है. राजस्थान में कई गांव ईस्माईलपुर के नाम से है क्योंकि जयपुर के नगर नियोजक मिर्जा ईस्माईल थे जिनके नाम पर आज भी जयपुर का एमआई रोड है.

एक ईस्माईलपुर का नाम पिचनवा खुर्द रख दिया गया है, जबकि दूसरे इस्माईलपुर का नाम कौशलनगर या ईश्वर नगर रखना चाहते हैं. यहां के लोगों का कहना है कि गांव में हिंदू आबादी ही है ऐसे में मुस्लिम नाम रखने का कोई औचित्य नहीं है.

गौरतलब है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर प. दीन दयाल उपाध्याय रखा है. इससे पहले दिल्ली में भी कई मार्गों और जगह के नाम में बदलाव किया गया है.