प्रफुल्ल पटेल
प्रफुल्ल पटेलTwitter / @ANI

पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने गैंगस्टर इकबाल मिर्ची के साथ जमीन-जायदाद का सौदा करने से जुड़े समाचारों को मंगलवार को ''कोरी अटकलबाजी'' कहते हुये उसे खारिज कर दिया।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पटेल को सम्मन भेज कर पूछताछ के लिए 18 अक्टूबर को बुलाया है। निदेशालय मिर्ची की इन कथित अवैध संपत्तियों के सौदे में मनी लांड्रिग के पहलुओं की जांच के सिलसिले में पटेल को बलाया है। मिर्ची भगोड़े गिरोहबाज अपराधी दाऊद इब्राहिम का सहयोगी था और उसकी मृत्यु हो चुकी है। दाऊद को फरार घोषित किया जा चुका है।

पटेल ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा, ''दस्तावेजों को मीडिया को लीक किया गया हो सकता है। हो सकता है आपके पास कुछ दस्तावेज हों, जिन्हें कभी भी मेरे समक्ष नहीं लाया गया हो।''

मिर्ची मादक पदार्थों के अवैध कारोबार में लगे एक गिरोह का सरगना था। 2013 में उसकी मृत्यू हो गई। अब कुछ खबरें आयी हैं कि पटेल ने मिर्ची की पत्नी हाजरा मेमन के साथ मिर्ची परिवार की जमीन-जायदा का सौदा किया है।

ईडी का दावा है कि प्रफुल्ल पटेल की कंपनी मिलिनियम डेवलपर्स ने 2007 में मुंबाइस सीजे हाउस के दो तलों को हाजरा को हस्तांतरित किया था। यह हस्तांतरण उस जमीन में के बदले में किया गया जिस पर इस इमारत का निर्माण किया गया है। कथित तौर पर इस जमीन में मिर्ची के हित जुड़े हुए थे।

पटेल ने कहा, ''मिलिनियम का मालिक मेरा परिवार है, इसमें कोई और भागीदार नहीं है।'' एनसीपी नेता ने कहा, ''पटेल परिवार और हाजरा मेमन के बीच एक पैसे की भी संपत्ति का सौदा नहीं हुआ है।''

पटेल ने कहा, ''सब कुछ बंबई उच्च न्यायालय के कोर्ट रिसीवर के कब्जे में है। हम इस मामले में कहीं भी सीधे तौर पर संपत्ति की देखभाल नहीं कर रहे हैं और न ही हम इसके प्रभारी हैं।''

यह पूछे जाने पर कि ईडी की कार्रवाई के पीछे क्या कोई राजनीति मंशा दिखाई देती है? पटेल ने कहा, ''आप (मीडिया) इस बारे में बेहतर समझ सकते हैं क्योंकि कुछ दस्तावेज जिनके बारे में मुझे पता नहीं नहीं है, वह आपके जरिये सामने आये हैं।''

समझा जाता है कि ईडी मनी लांड्रिंग रोधी कानून के तहत संपत्ति सौदे के मामले में जल्द ही पटेल के बयान रिकार्ड करेगा। इससे पहले ईडी ने विमानन घोटाले के मामले में भी मनी लांड्रिंग जांच के सिलसिले में पटेल से सवाल किये हैं।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।