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विजय माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर मंगलवार, 31 जुलाई को लंदन स्थित वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में सुनवाई होगी. मामले की अंतिम सुनवाई में किसी भी क्षण फैसला आने की उम्मीद है. वहीं कोर्ट के फैसले और माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर भारत सरकार को भी बहुत उम्मीदें हैं.

गौरतलब है कि सीबीआई और ईडी दोनो की टीमें पहले ही लंदन पहुंच चुकी है. अगर कोर्ट से भारत की उम्मीदों के खिलाफ फैसला आता है तो ऐसे में बिना समय गंवाए सीबीआई और ईडी लंदन की सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर सकते हैं.

वहीं प्रत्यर्पण पर भारत के खिलाफ केस लड़ रहे माल्या को कोर्ट से अपने पक्ष में फैसले की उम्मीदें होंगी. बता दें कि बीते 3, 4 माह से दोनों पक्ष (भारत सरकार और माल्या के वकील) की तरफ से जज एम्मा आर्बुथनॉट के पास लिखित में अपने तर्क जमा किया जा रहे थे.

भारत सरकार की ओर से क्राउन प्रॉसीक्यूशन सर्विस (सीपीएस) के प्रवक्ता ने कहा कि न्यायाधीश आर्बुथनॉट मामले पर अंतिम सुनवाई करेंगी और फैसले को सुरक्षित रख लिया जाएगा. मालूम हो कि इससे पहले 27 अप्रैल को कोर्ट ने भारतीय केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई)की तरफ से जमा कराए गए बहुत सारे सबूतों को स्वीकार कर लिया है. सबूत स्वीकार किए जाने से माल्या को वापस ले जाने के लिए चल रहे भारतीय खेमे के प्रयासों को उत्साह मिला था और सफलता की उम्मीद बढ़ गई थीं.

गौरतलब है कि हालिया अध्यादेश के तहत भारत सरकार देश और विदेशों में माल्या से जुड़ी सभी संपत्तियों को तत्काल जब्त कर सकती है. उल्लेखनीय है कि ईडी ने नौ हजार करोड़ रुपये की कथित बैंक धोखाधड़ी मामले में शराब कारोबारी के खिलाफ मुंबई स्थित विशेष पीएमएलए अदालत में याचिका दायर करके भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश के तहत सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग की है.