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मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष को भारी जीत मिली है. इन आशंकाओं के बीच कि चुनाव में गड़बड़ी हो रही है और यामीन प्रशासन अनुचित तरीकों का सहारा ले रहा है, नतीजों ने हैरान किया है. वहां के चुनाव आयोग के मुताबिक विपक्ष के उम्मीदवार इब्राहीम मोहम्मद सोलिह करीब 58.3 फीसदी वोट के साथ विजयी हुए हैं.

विपक्ष को मिली इस भारी जीत के बाद चीन समर्थक माने जाने वाले निवर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को पद छोड़ना होगा. 54 साल के वकील और राष्ट्रपति उम्मीदवार इब्राहीम मोहम्मद ने करीब 92 फीसदी वोटों की गणना के बाद ही बाहर आकर अपनी जीत का दावा किया था. उन्होंने कहा, 'जनता की राय सामने आ चुकी है.'

उन्होंने यामीन प्रशासन से सत्ता के सहज स्थानांतरण का अनुरोध करते हुए कहा, 'हमारे जैसे बहुत लोगों के लिए यह काफी कठिन यात्रा रही है. एक ऐसी यात्रा जो जेल की कोठरी तक या वर्षों के निर्वासन तक ले जाती है. एक ऐसी यात्रा जिसमें सार्वजनिक संस्थाओं का पूरी तरह से राजनीतिकरण और उन्हें बर्बाद किया गया. लेकिन इस यात्रा का समापन बैलेट बॉक्स के साथ हुआ, क्योंकि लोग यह चाहते थे.'

चुनाव आयोग द्वारा सोमवार को जारी नतीजों के अनुसार सोलिह को 1,33,808 वोट और अब्दुल्ला यामीन को 95,526 वोट मिले हैं. चुनाव में अन्य कोई उम्मीदवार नहीं था, क्योंकि ज्यादातर बागी नेता या तो जेल में हैं या देश से बाहर निर्वासन में. मालदीव के 4 लाख नागरिकों में से 2.60 लाख से ज्यादा लोगों ने वोट किया था.

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Reuters

भारत ने इस जीत का स्वागत किया है. विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, 'हम इब्राहीम मोहम्मद सोलिह को तहे दिल से बधाई देते हैं. यह न सिर्फ मालदीव में लोकतांत्रिक ताकतों की जीत है, बल्कि वहां लोकतंत्र और कानून के शासन के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता को दिखाता है.'

गौरतलब है कि मालदीव में लगातार विपक्ष के दमन और लोकतांत्रिक आजादी छीनने की वजह से यामीन प्रशासन की काफी आलोचना हो रही थी. उन्होंने अदालतों पर भी अंकुश लगाया था और विरोधियों को जेल में डाल दिया. इसी वजह इन चुनावों के स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से होने पर भी लोगों को संदेह था.

इब्राहीम मोहम्मद सोलिह मालदीव डेमाक्रेटिक पार्टी (MDP) के नेतृत्व वाले संयुक्त विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार हैं. इस गठबंधन में जम्हूरी पार्टी, अदालत पार्टी और प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव्स (PPM) का एक धड़ा शामिल है.

सालेह ने कहा, 'मैं यामीन से कहना चाहूंगा कि वह लोगों की इच्छा का सम्मान करें और सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण कर दें.' इसके साथ ही उन्होंने राजनीतिक बंदियों को भी रिहा करने की अपील की है. यामीन की तरफ से चुनावों में मीडिया पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए थे, जिससे इन चुनावों में धोखाधड़ी किए जाने की संभावना जताई जा रही थी. चुनावों पर भारत और चीन के अलावा यूरोपीय संघ और अमेरिका भी कड़ी नजर रखे हुआ था.

बता दें कि यामीन के पहले कार्यकाल में विपक्षी राजनीतिक पार्टियों, अदालतों और मीडिया पर कड़ी कार्यवाही की गई है. इस साल फरवरी में देश में आपातकाल लागू करके संविधान को निलंबित कर दिया गया था. यामीन के खिलाफ महाभियोग चलाने की कोशिश करने वाले सांसदों को रोकने के लिए सैनिकों को भेजकर मौजूदा राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंतित कर दिया था. कई वरिष्ठ जजों और प्रमुख विपक्षी नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया था.