Madhya Pradesh Police Brutality
Twitter / @ANI

"मैंने लॉकडाउन का उल्लंघन किया है, मुझसे दूर रहना।" मध्य प्रदेश पुलिस ने उत्तर प्रदेश से होते हुए छतरपुर पहुंचे एक प्रवासी मजदूर को लॉकडाउन के उल्लंघन के आरोप में पकड़ लिया और फिर इसके बाद उसे बीच चौराहे पर बैठाकर उसके माथे पर उसका अपराध लिख दिया। यह शर्मनाक घटना रविवार 29 मार्च को प्रकाश में आई।

कोरोना के प्रकोप के चलते घोषित किये गए लॉकडाउन के बाद यह मजदूर घर लौट रहा था, तभी गोरहर में एक महिला सब-इंस्पेक्टर ने उसे पकड़ लिया। अधिकारी ने उसे बीच सड़क पर अपमानित किया और उसके माथे पर मार्कर की सहायता से ऐसा लिख दिया।

सोशल मीडिया पर इस घटना के वीडियो के तेजी से वायरल होने के बाद तो पुलिस-प्रशासन में हड़कंप मच गया। मामले के तूल पकड़ने पर जिले के एसपी को सामने आना पड़ा और आरोपी पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई की बात कहनी पड़ी। इस मामले पर खासी किरकिरी के बाद जिले के एसपी कुमार सौरभ ने इसे अस्वीकार्य बताया है। साथ ही उन्होंने कहा कि आरोपी महिला पुलिसकर्मी के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की गई है।

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लॉकडाउन के दौरान बढ़ी पुलिस के अत्याचार की घटनाएं

कर्फ्यू के दौरान पुलिस को थोड़ा सख्त होने के लिए कहा गया है, लेकिन सोशल मीडिया पर प्रतिबंधों की अनदेखी करने वालों को दंडित करने और उन्हें अपमानित करने के कई वीडियो सामने आए हैं। इसी तरह की एक घटना में, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बदायूं शहर में मजदूरों के एक समूह को अपनी पीठ पर लादे बैग के साथ एक सड़क पर उठक-बैठक करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

घटना के बाद, यूपी पुलिस को सार्वजानिक माफी जारी करनी पड़ी। बदायूं के पुलिस प्रमुख एके त्रिपाठी ने कहा कि वह इस घटना को लेकर शर्मिंदा हैं और इस घटना में शामिल पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

त्रिपाठी ने कहा, "वीडियो में देखा गया पुलिसकर्मी लगभग एक साल के अनुभव वाला प्रोबेशनर है। वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे, लेकिन वे अन्य स्थानों पर काम कर रहे थे। सुधारात्मक कार्रवाई की जाएगी। मैं वीडियो के लिए माफी मांगता हूं और जो कुछ हुआ उसको लेकर शर्मिंदा हूं।"

अपने कठोर कदम से गरीबों को परेशान करने के लिए पीएम मोदी ने मांगी माफी

कोरोनोवायरस लॉकडाउन की घोषणा के बाद से अपने पैतृक गांवों और घरों में लौटने के लिए सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल रहे प्रवासी श्रमिकों की दिल दहला देने वाली कहानियां सामने आई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अचानक देशव्यापी बंद की की गई घोषणा के बाद इन मजदूरों को नौकरी, आश्रय और भोजन के बिना छोड़ दिया गया था।

पीएम को "कठोर कदम" के साथ गरीबों को कठिनाइयों का कारण बनने के लिए माफी मांगनी पड़ी, लेकिन उन्होंने तर्क दिया कि घातक कोरोनावायरस को भारत में तेजी से फैलने से रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता थी। देश में कोविड-19 से संक्रमित लोगों की संख्या 1000 के पास पहुँच चुकी है और यह घातक वायरस अबतक 25 लोगों की जान ले चुका है।