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सांकेतिक तस्वीरReuters

लोकसभा चुनाव 2019 के लिए हुए मतदान के सातवे और आखिरी चरण के संपन्न होने के साथ ही देशभर में एक बार फिर पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी का दौर शुरू हो गया है। मंगलवार को देशभर में लगातार दूसरे दिन पेट्रोल और डीजल के दाम में वृद्धि दर्ज की गई। ऑइल मार्केटिंग कंपनियों ने दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नै में पेट्रोल के दाम में फिर पांच पैसे की बढ़ोतरी की जबकि दिल्ली, मुंबई और चेन्नै में डीजल के दाम में नौ पैसे, जबकि कोलकाता में 10 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है।

बाजार के जानकार बताते हैं कि तेल के दाम में अभी वृद्धि का सिलसिला जारी रह सकता है, क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में तेजी आने के बावजूद तेल कंपनियों ने तेल की कीमतें नियंत्रण में रखी थीं, इसलिए कंपनियां अपने घाटे की भरपाई कर सकती हैं। इंडियन ऑइल की वेबसाइट के अनुसार, मंगलवार को दिल्ली, कोलकता, मुंबई और चेन्नै में पेट्रोल के दाम बढ़कर क्रमश: 71.17 रुपये, 73.24 रुपये, 76.78 रुपये और 73.87 रुपये प्रति लीटर हो गए। डीजल के दाम भी चारों महानगरों में बढ़कर क्रमश: 66.20 रुपये, 67.96 रुपये, 69.36 रुपये और 69.97 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं।

इससे पहले, सोमवार को पेट्रोल-डीजल के दाम में पिछले 15 दिनों से लगातार हो रही कटौती का सिलसिला थम गया और दिल्ली में पेट्रोल का दाम नौ पैसे की वृद्धि के साथ 71.12 रुपये प्रति लीटर हो गया जबकि डीजल 15 पैसे की बढ़ोतरी के साथ 66.11 रुपये लीटर हो गया। हालांकि, जब पेट्रोल-डीजल के दाम घट रहे थे तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल लगातार महंगा हो रहा था।

सरकारी तेल विपणन कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि सोमवार को पेट्रोल और डीजल के दाम में वृद्धि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पिछले 15 दिनों के तेल के दाम वृद्धि के आधार पर किया गया। हालांकि जानकार सूत्रों ने बताया कि सरकार के निर्देश पर चुनाव के दौरान तेल के दाम में कटौती की गई। चुनाव अब समाप्त हो गया है, इसलिए ऑइल मार्केटिंग कंपनियां अब पिछले दिनों हुए घाटे को पूरा कर सकती हैं।

जाहिर है कि केंद्र में नई सरकार बनने के साथ उपभोक्ताओं में परिवहन ईंधन की महंगाई का पहला झटका लगेगा। खाड़ी क्षेत्र में तनाव और ईरान एवं वेनेजुएला से तेल की आपूर्ति प्रभावित होने समेत वैश्विक परिस्थितियों से आगे कच्चे तेल के दाम में वृद्धि हो सकती है जिससे तेल की महंगाई पर लगाम लगाना मुश्किल होगा, बशर्ते केंद्र सरकार उत्पाद कर में और राज्य सरकारें वैट में कटौती न करें।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि मार्च और अप्रैल के महीने में तेल कंपनियों ने पेट्रोल पांच रुपये प्रति लीटर और डीजल तीन रुपये प्रति लीटर की रियायत पर बेची, जबकि इंडियन बास्केट में कच्चे तेल की औसत कीमत क्रमश : 67 डॉलर प्रति बैरल और 71 डॉलर प्रति बैरल थी। यह स्तर मई में भी अब तक बरकरार है।

इससे पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान पिछले साल तेल कंपनियों ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी के बावजूद 19 दिनों तक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया था, लेकिन उसके बाद लगातार 16 दिनों तक कीमतों में वृद्धि का सिलसिला जारी रहा था जिससे पेट्रोल और डीजल की कीमतें करीब 3.5 रुपये प्रति लीटर बढ़ गई थीं।