सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीरReuters

पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह भारत और अफगानिस्तान दोनों जगह आतंकवादी हमले करना जारी रखेंगे। अमेरिका के इंटेलिजेंस चीफ डैन कोट्स ने यह बात कही है। इसके अलावा कोट्स ने अमेरिकी सांसदों को बताया कि अगर सत्तारूढ़ बीजेपी मई में संभावित आम चुनावों से पहले हिंदू राष्ट्रवादी विषय पर ही जोर देती रही तो भारत में सांप्रदायिक हिंसा की आशंका बेहद प्रबल है।

कोट्स और अन्य शीर्ष अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने कमेटी के समक्ष वैश्विक खतरे की वस्तुस्थिति रखी है। इनमें भारत दौरे से हाल ही में लौटे सीआईए निदेशक गिना हेस्पल, एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर रे और रक्षा खुफिया एजेंसी के निदेशक राबर्ट एश्ले भी शामिल हैं।

कोट्स ने लिखित बयान में कहा है कि मोदी के पहले कार्यकाल में बीजेपी की नीतियों के कारण बीजेपी शासित कुछ प्रदेशों में सांप्रदायिक तनाव बढ़े हैं और हिंदुवादी नेता अपने समर्थकों को उत्तेजित करने के लिए हिंदू राष्ट्रवादी प्रचार के नाम पर छोटी-मोटी हिंसा का इशारा कर सकते हैं।

कोट्स ने कहा कि पाकिस्तान का कुछ समूहों का नीतिगत तौर पर इस्तेमाल कर आतंकवाद निरोधक सहयोग के प्रति संकीर्ण रवैया दिखाना और केवल उन आतंकवादी समूहों से निपटना जिससे पाकिस्तान को सीधे तौर पर खतरा हो, निश्चित तौर पर तालिबान के खिलाफ आतंकवाद निरोधी अमेरिकी प्रयासों को भी विफल कर देगा।

डैन कोट्स ने खुफिया मुद्दों पर संसद (सीनेट) की सिलेक्ट कमिटी के सदस्यों को बताया, 'पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह भारत, अफगानिस्तान और अमेरिकी हितों के खिलाफ हमलों की योजना बनाने के साथ ही अंजाम देने के लिए पाकिस्तान में अपने पनाहगाहों का फायदा उठाना जारी रखेंगे।'

कोट्स और अन्य अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के प्रमुख विश्वव्यापी खतरे पर अपने आकलन को लेकर खुफिया मुद्दों पर सीनेट की सिलेक्ट कमिटी के सामने पेश हुए थे, जिस दौरान उन्होंने यह रिपोर्ट पेश की।

दक्षिण एशिया पर की गई यह टिप्पणी अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों द्वारा 2019 में विश्वव्यापी खतरे पर उनके आकलन का एक हिस्सा था, जिसे कोट्स ने लिखित दस्तावेज के रूप में सिलेक्ट कमिटी के सामने पेश किया था।

वहीं दूसरी तरफ कोट्स ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रमों के लगातार विकास एवं वृद्धि के कारण दक्षिण एशिया में परमाणु सुरक्षा से जुड़ी घटनाओं की आशंका बढ़ गई है। इसके अलावा उन्होंने सांसदों को बताया कि भारत और चीन के बीच इस वर्ष रिश्ते तनावपूर्ण रहने की आशंका है। उन्होंने कहा कि दोनों देश के बीच रिश्ते सुधारने के भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के प्रयासों के बावजूद उनके संबंधों में तनाव रहेगा।