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ANI

सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की श्रद्धांजलि सभा में "भारत माता की जय" और "जय हिन्द" बोलना जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला को काफी महंगा पड़ा. श्रीनगर की हजरत बल मस्जिद में फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई और उनपर कथित रूप से जूते भी फेंके गए. इस पूरे घटनाक्रम के बाद उन्हें मस्जिद से लौटना पड़ा, लेकिन फारूक ने कहा है कि वे ऐसी हरकतों से डरने वाले नहीं हैं.

दरगाह में फारूक के साथ धक्का-मुक्की का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है जिसमे कुछ लोगों को मस्जिद परिसर से फारूक को हटाए जाने की बात कहते हुए सुना जा सकता है. अब्दुल्ला वहां से जैसे ही जाने के लिए उठे, नारेबाजी कर रहे कुछ लोगों ने अपने जूते हाथ में ले लिए और 'शर्म करो', 'शर्म करो' और 'आजादी' के नारे लगाए.

इस पूरे घटनाक्रम के बाद डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि यह चंद सिरफिरे लोगों की करतूत है और इससे आजादी नहीं मिलने वाला है. ऐसे लोगों को पहले भुखमरी, बीमारी तथा भिक्षावृत्ति से आजादी पाना होगा. समाचार एजेंसी एएनआई ने अब्दुल्ला के हवाले से कहा कि सियासी लोगों का विरोध लोकतंत्र में होता है, लेकिन विरोध के लिए गलत दिन का चुनाव किया गया. ईद पर लोग नमाज पढ़ने गए थे, विरोध तो बाद में भी हो सकता था. उन्हें क्या लगता है कि इससे फारूक डर जाएगा. फारूक कभी भी इससे डरने वाला नहीं है. लोग समझते हैं कि इससे आजादी मिलेगी तो पहले भुखमरी, बीमारी व भिक्षावृत्ति से मुक्ति दिलानी होगी. कोने में छिपकर नारे लगाने से बात नहीं बनेगी.

उन्होंने कहा कि वक्त आ गया है कि अमन से बैठकर हिंदुस्तान-पाकिस्तान बातचीत करे और शांति बहाली के प्रयास हों.