सांकेतिक तस्वीर
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संयुक्त राष्ट्र और "शक्तिशाली" देशों द्वारा जम्मू और कश्मीर के मुद्दे पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर देने के बाद यूएन ने एक बार फिर पकिस्तान की मध्यस्थता की गुहार को अनसुना करते हुए पडोसी देश को एक बड़ा झटका दिया है।

इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस कश्मीर के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच किसी भी संभावित तनातनी की स्थिति को लेकर बहुत चिंतित हैं और उन्होंने दोनों पक्षों से बातचीत के जरिये से इस मुद्दे से निपटने की अपील की।

दरअसल, कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मालेहा लोधी ने सोमवार को यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से मुलाकात कर मध्यस्थता की अपील की थी।

संयुक्त राष्ट्र के मुख्य प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने मंगलवार को एक दैनिक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि गुटेरेस ने पिछले महीने फ्रांस के बिअरिट्ज़ में जी-7 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से भी बात की।

यूएन के सेक्रेटरी जनरल के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, 'मध्यस्थता पर हमारी स्थिति पूर्ववत ही है, उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। महासचिव ने दोनों देशों की सरकार से संपर्क किया है। जी-7 की बैठक में भारत के प्रधानमंत्री से मुलाकात कर इस पर चर्चा की और पाकिस्तान के विदेश मंत्री से इस पर बात हुई है।'

बता दें कि कई अन्य देशों की ही तरह यूएन ने भी कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय बताया है। भारत हमेशा से ही मध्यस्थता की संभावना से इनकार करता रहा है।

संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर पर जारी तनाव पर स्पष्ट कहा कि दोनों देशों को शांतिपूर्ण तरीके से इस मुद्दे का समाधान ढूंढ़ना चाहिए। दोनों ही देशों को बातचीत के जरिए कश्मीर का हल ढूंढ़ना होगा। बता दें कि भारत का स्पष्ट पक्ष है कि कश्मीर का मुद्दा द्विपक्षीय है और इसमें किसी प्रकार की मध्यस्थता या किसी तीसरे पक्ष का दखल भारत को स्वीकार नहीं है।

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बता दें कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर भारत ने एक-एक कर पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश किया। भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय के सचिव ने कहा कि हमारे कदम से पाकिस्तान को अहसास हो गया है कि उसके आतंकी मसूबे अब कामयाब नहीं होंगे।

भारत ने जम्मू-कश्मीर में हिंसा भड़काने के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार बताया।

गौरतलब है कि 5 अगस्त को जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ अपने राजनयिक संबंधों को कम कर दिया है और भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया है।