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IANS

भारत ने दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर धार्मिक आजादी पर एक अमेरिकी आयोग, इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) तथा कुछ अमेरिकी सांसदों के बयानों को खारिज करते हुए कहा कि बयान तथ्यात्मक रूप से गलत, भ्रामक हैं तथा मुद्दे का राजनीतिकरण करने का प्रयास किया जा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामलों संबंधी अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ), ओआईसी और अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बर्नी सैंडर्स सहित वहां के कुछ सांसदों ने दिल्ली में हिंसा पर चिंता जतायी है । डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के अलावा अन्य प्रभावशाली सीनेटरों ने भी घटनाक्रमों पर चिंता जताई।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ''हमने यूएससीआईआरएफ, मीडिया के कुछ धड़े और कुछ लोगों द्वारा दिल्ली में हिंसा की हालिया घटनाओं के बारे में उनके बयान देखे हैं। तथ्यात्मक रूप से ये गलत, भ्रामक हैं और मुद्दे का राजनीतिकरण करने के मकसद से दिए गए हैं।''

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Reuters

कुमार ने ओआईसी जैसे संगठनों से इस संवेदनशील समय गैरजिम्मेदाराना बयान नहीं देने का आग्रह किया। कुमार ने कहा, ''ओआईसी की तरफ से आए बयान तथ्यात्मक रूप से गलत हैं, भ्रामक हैं। विश्वास बहाली के लिए शांति कायम करने की कोशिश हो रही है ।''

उन्होंने कहा, ''हम इन संगठनों से ऐसे संवेदनशील समय में गैरजिम्मेदाराना बयानबाजी में नहीं पड़ने का अनुरोध करते हैं।''

कुमार ने कहा कि कानून लागू करने वाली एजेंसियां हिंसा रोकने और हालात सामान्य बनाने के लिए काम कर रही हैं।

यूएससीआईआरएफ के अध्यक्ष टोनी पर्किंस ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा, ''हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वह भीड़ हिंसा का शिकार बने मुसलमानों और अन्य समूहों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए गंभीर प्रयास करे।''

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Twitter

पर्किंस ने कहा था, ''दिल्ली में जारी हिंसा और मुसलमानों, उनके घरों एवं दुकानों और उनके धार्मिक स्थलों पर कथित हमलों के मामले व्यथित करने वाले हैं। अपने नागरिकों की रक्षा करना किसी भी जिम्मेदार सरकार के सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्यों में से एक है, भले ही वे (नागरिक) किसी भी धर्म के हों।''

एक बयान में ओआईसी ने कहा कि वह भारत में मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा की निंदा करता है। हिंसा के कारण बेकसूर घायल हुए और उनकी जान गयी तथा तोड़फोड़ आगजनी से मस्जिदों और मुस्लिमों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.