एक मजदूर के साथ अपने घर वापस लौटते समय ट्रेन में मारपीट की गई. (सांकेतिक तस्वीर)
एक मजदूर के साथ अपने घर वापस लौटते समय ट्रेन में मारपीट की गई. (सांकेतिक तस्वीर)रायटर्स

पश्चिम बंगाल में एक बेहद शर्मनाम घटना में चार लोगों ने एक मुसलमान मजदूर के साथ सिर्फ इसलिये मारपीट क्योंकि क्योंकि वह कथित तौर पर उन्हें भारत के प्रधानमंत्री और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का नाम नहीं बता पाया.

कहा जाता है कि यह घटना 14 मई उस समय हुई जब पीड़ित जमाल मोमिन ट्रेन से अपने घर मालदा लौट रहा था. आरोपी और मोमिन हावड़-मालदा फास्ट पैसेंजर ट्रेन के सामान्य डिब्बे में सफर कर रहे थे. आरोपियों द्वारा पीड़ित को सीट उठ जाने के लिये कहा गया और इसी के बाद उसपर हमले की शुरुआत हुई.

टाईम्स आॅफ इंडिया ने मोमिन के हवाले से लिखा, ''उस दिन मेरी तबीयत ठीक नहीं थी और मैं खि़डकी के पास बैठा हुआ था. लेकिन उन्होंने मुझे उस सीट से उठने को मजबूर कर दिया और मैंने उनकी बात मान ली.''

हालांकि आरोपी उसे सिर्फ सीट से उठाकर ही खुश नहीं हुए बल्कि उन्होंने उसपर सवालों की बौछार कर दी. गुजरात में काम करने वाले मोमिन ने आरोपियों से अपने कम पढ़े-लिखे होने का हवाला देते हुए छोड़ देने की अपील की लेकिन उन्होंने उसे परेशान करना जारी रखा.

आरोपियों ने उससे ऐसे सवाल पूछे जैसे ''भारत का प्रधानमंत्री कौन है?'', ''बंगाल का मुख्यमंत्री कौन है?'', ''हमारा राष्ट्रीय गान कौन सा है?'' जब मोमिन ने इन सवालों का कोइ जवाब नहीं दिया और वह चुप खड़ा रहा तो उन्होंने पूछा ''नवाज शरीफ कौन है?'' और मोमिन इस सवाल का जवाब देने में भी विफल रहा.

मोमिन ने आगे बताया, ''चारों युवाओं ने मुझपर सवालों की झड़ी लगा दी. मैंने कुछ के तो जवाब दिये लेकिन अधिकतर के बारे में मुझे कुछ नहीं पता था. इसके बाद उन्होंने मुझे गालिया देते हुए मेरे परिवार और धर्म को बुरा-भला कहना शुरू कर दिया.''

जब उसने उन्हें बताया कि वह रोज नमाज पढ़ता है तो उन्होंने उसके धर्म का भी अपमान किया. वे मोमिन पर चिल्लाये, ''शर्म करो. तुम रोज मस्जिद में जाकर नमाज तो पढ़ते हो लेकिन तुम्हें राष्ट्रगान के बारे में नहीं पता.''

आरोपियों ने मोमिन के साथ मारपीट भी की. (सांकेतिक तस्वीर)
आरोपियों ने मोमिन के साथ मारपीट भी की. (सांकेतिक तस्वीर)क्रिएटिव कॉमन्स

उसके साथ हो रहा दुर्व्यवहार इतने पर ही खत्म नहीं हुआ और आरोपियों ने बंदेल में ट्रेन से उतरने से पहले मोमिन को ''भारत माता की जय'' का नारा लगाने को भी मजबूर किया. इसके अलावा इस बीच उन्होंने कई बार इस मुसलमान मजदूर पर हाथ भी साफ किया.

इस पूरे घटनाक्रम के दौरान ट्रेन में सफर कर रहे अन्य सहयात्रियों ने उसकी कोई मदद नहीं की बल्कि वे पूरे घटनाक्रम कीे वीडियो बनाने में मशगूल रहे जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं. इसी दौरान ये वीडियो एक एनजीओ बांग्ला संस्कृति मंच तक पहुंची जिन्होंने मोमिन को इंसाफ दिलवाने का बीड़ा उठाया. इस मामले की रिर्पोट पुलिस में भी दर्ज करवा दी गई है.

मालदा के पुलिस अधीक्षक अर्णब घोष ने टीओआई को बताया, ''हालांकि यह घटना चलती ट्रेन में घटित हुई और जीआरपी के अधिकार क्षेत्र में आती है लेकिन हमने इसकी प्राथमिकी दर्ज कर ली है. आरोपी युवाओं की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. किसी को भी किसी भी व्यक्ति को उसके धर्म के आधार पर अपमान करने का कोई अधिकार नहीं है.''