-
Twitter / @ANI

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार, 16 अगस्त को कहा कि भारत अपनी परमाणु हथियार नीति में एक बड़ा बदलाव देख सकता है। पोखरण में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, राजनाथ सिंह ने कहा कि वर्तमान में देश के पास परमाणु हथियारों को लेकर पहले इस्तेमाल न करने की नीति रही है लेकिन यह स्थिति भविष्य में बदल सकती है। रक्षा मंत्री ने कहा कि 'नो फर्स्ट यूज' भारत की परमाणु नीति है, लेकिन भविष्य में क्या होगा, यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

इसके बाद राजनाथ सिंह ने ट्विटर पर लिखा, "पोखरण वह क्षेत्र है जिसने अटल जी के भारत को परमाणु शक्ति बनाने के दृढ़ संकल्प को देखा और अभी तक 'नो फर्स्ट यूज' के सिद्धांत के लिए प्रतिबद्ध है। भारत ने इस सिद्धांत का कड़ाई से पालन किया है। भविष्य परिस्थितियों पर निर्भर करता है।"

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रथम पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए शुक्रवार को पोखरण पहुंचे रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'भारत एक जिम्मेदार परमाणु राष्ट्र का दर्जा रखता है और हर नागरिक के लिए यह राष्ट्रीय गौरव है। यह गौरव हमें अटलजी की बदौलत मिला है और देशवासी सदैव इसके लिए उनका ऋणी है।'

गौरतलब है कि मई 1998 में पोखरण में दुनिया के कई देशों के विरोध के बावजूद भारत ने परमाणु परीक्षण किया था। उस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। शुक्रवार को राजनाथ सिंह इंटरनैशनल आर्मी स्काउट मास्टर्स प्रतियोगिता के समापन समारोह में हिस्सा लेने के लिए जैसलमेर पहुंचे थे। समारोह के बाद रक्षामंत्री पोखरण गए, जहां उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दी और परमाणु परीक्षण के उनके साहसिक फैसले को याद किया।

-
Twitter / @ANI

इस दौरान राजनाथ सिंह ने कहा, 'यह एक संयोग है कि आज (शुक्रवार को) पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि है और मैं जैसलमेर में हूं। ऐसे में मुझे लगा कि मुझे उन्हें पोखरण की धरती से ही श्रद्धांजलि देनी चाहिए।'

उन्होंने मीडिया से बात करते हुए भारत की परमाणु नीति पर को भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि फिलहाल, 'नो फर्स्ट यूज' हमारी न्यूक्लियर पॉलिसी है लेकिन यह परिस्थितियों पर निर्भर करेगा कि आगे इस नीति में बदलाव होगा या नहीं।

न्यूक्लियर हथियार को लेकर भारत की नीति 'नो फर्स्ट यूज' की है। इस नीति के मुताबिक भारत किसी भी देश पर परमाणु हमला तब तक नहीं करेगा जब तक वह देश भारत के ऊपर हमला नहीं कर देता है। भारत ने 1998 में दूसरे परमाणु परीक्षण के बाद इस सिद्धांत को अपनाया।

अगस्त 1999 में भारत सरकार ने सिद्धांत का एक मसौदा जारी किया, जिसमें कहा गया कि परमाणु हथियार केवल निरोध के लिए हैं और भारत केवल प्रतिशोध की नीति अपनाएगा। दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि भारत कभी खुद पहल नहीं करेगा लेकिन अगर कोई ऐसा करेगा तो फिर प्रतिशोध के साथ प्रतिक्रिया देगा।