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ANI

बुधवार रात को राज्यपाल सत्यपाल मालिक द्वारा जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग करने के बाद राज्य के नेताओं के बीच सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. गुरुवार सुबह बीजेपी नेता राम माधव ने नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के हाथ मिलाने पर बड़ा बयान दिया. जिसके बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और राम माधव के बीच ट्विटर पर जुबानी जंग छिड़ गई.

बीजेपी राष्ट्रीय सचिव ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, 'हो सकता है कि उन्हें सीमा पार से ही साथ आकर सरकार बनाने के निर्देश मिले हों क्योंकि बीजेपी एवं अन्य दलों ने निकाय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है.' उन्होंने कहा, 'जो भी कारण हों, जो फैसला उनके द्वारा किया गया है, उसी के चलते राज्यपाल ने अपना निर्णय लिया है.' बता दें, पीडीपी ने जैसे ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक के पास राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया उसके कुछ घंटे बाद ही राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी.

राम माधव ने कहा कि बीजेपी ने अपनी ओर से सरकार बनाने की इच्छा कभी जाहिर नहीं की. उन्होंने कहा, 'हमने कब ऐसा दावा किया कि हम सरकार बनाने जा रहे हैं? हमने हमेशा कहा कि हमें आगे बढ़ने के लिए राज्यपाल शासन की आवश्यकता है.' उन्होंने कहा, 'ये वही दल हैं जो राज्य में एक अनैतिक गठबंधन तैयार करना चाहते हैं.' उन्होंने कहा, 'पीडीपी और एनसी वही दल हैं जिन्होंने पिछले महीने निकाय चुनावों का बहिष्कार किया था क्योंकि उन्हें सीमा पार से ऐसा करने के निर्देश मिले थे.'

राम माधव के इस बयान पर एनसी नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पलटवार किया. उन्होंने जवाब में ट्वीट करते हुए कहा कि मैं आपको चैलेंज करता हूं कि इन आरोपों को सिद्ध करके दिखाएं. आपके पास रॉ-एनआईए-सीबीआई है, जांच कर पब्लिक डोमेन में ला सकते हैं. या तो इन आरोपों को साबित करें अन्यथा माफी मांगें.

इस पर राम माधव ने जवाब दिया कि वह उनकी देशभक्ति पर सवाल नहीं खड़े कर रहे हैं. लेकिन पीडीपी-एनसी के बीच अचानक उमड़ा प्रेम और सरकार बनाने की जल्दबाजी इस प्रकार के बयान दिलवा रही है.

इस पर उमर अब्दुल्ला ने जवाब दिया कि इस प्रकार का व्यंग्य काम नहीं करेगा. आपने आरोप लगाया है कि मेरी पार्टी पाकिस्तान के इशारों पर काम कर रही है. मैं आपको इसे सिद्ध करने की चुनौती देता हूं.

उधर, सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस, एनसी और पीडीपी तीनों पार्टियों द्वारा साथ आना सरकार बनाने की कोशिश कम और राज्यपाल तथा बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश ज्यादा था। सूत्रों का कहना है कि इस पूरी कवायद के पीछे इन तीनों पार्टियों का मूल उद्देश्य भी विधानसभा भंग कराना ही था। बीते दिनों राज्य में हुए पंचायत चुनाव में वोटरों की भागीदारी के बाद क्षेत्रीय पार्टियों का आकलन गलत साबित हुआ है।