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बीजेपी की ओर से लोकसभा चुनावों के लिए अभी उम्मीदवारों की पहली लिस्ट तैयार की जा रही है, लेकिन पार्टी के पितामह कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है। गुजरात की गांधीनगर सीट से चुनाव लड़ते रहे आडवाणी को लेकर स्थिति साफ नहीं है कि वह इस बार भी चुनाव लड़ेंगे या फिर चुनावी राजनीति से हट जाएंगे। देश के गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री रहे 91 वर्षीय लालकृष्ण आडवाणी लगातार 6 बार गांधीनगर लोकसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं।

1980 के दशक के अंतिम वर्षों में और 1990 के दशक में बीजेपी को देश भर में उभारने और राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख रहे लालकृष्ण आडवाणी को बीजेपी के विस्तार का श्रेय दिया जाता है। 1984 में बीजेपी को दो सीटों से 180 सीटों तक पहुंचाने वाले लालकृष्ण आडवाणी फिलहाल राजनीति के केंद्र में नहीं हैं। 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी का विरोध किए जाने के बाद से वह पार्टी में भी एक तरह से हाशिये पर ही हैं।

बढ़ती उम्र के चलते आडवाणी के चुनाव में उतरने या फिर न उतरने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उनके निजी सचिव दीपक चोपड़ा ने कहा, 'अभी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। कोई ऑफर आता है तो फिर वह चुनाव लड़ने या फिर न लड़ने पर फैसला लेंगे।' इस बीच पार्टी सूत्रों का कहना है कि चुनाव मैदान में प्रत्याशियों को उतारने के लिए उम्र कोई पैमाना नहीं है। इसका पैमाना उम्मीदवार की जीतने की क्षमता है।

यह पूछे जाने पर कि क्या आडवाणी की लोकसभा उम्मीदवारी को लेकर पार्टी ने कुछ बात की है, उनके सचिव ने कहा, 'न तो अब तक पार्टी ने ही इस मसले पर उनसे संपर्क किया है और न आडवाणी ने ही इस संबंध में पार्टी से बात कही है।' गुजरात बीजेपी के कुछ नेताओं का कहना है कि आडवाणी खुद ही बढ़ती उम्र के चलते चुनाव लड़ने से किनारा कर सकते हैं। अब तक बीजेपी पर्यवेक्षकों के समक्ष आडवाणी ने गांधीनगर सीट से चुनाव लड़ने को लेकर कोई दावा नहीं किया है। इस पर चोपड़ा ने कहा, 'वह जिस स्तर के नेता हैं, उन्हें ऐसा कुछ भी करने की जरूरत नहीं है।'