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सांकेतिक तस्वीरReuters

लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन के बीच सीट बंटवारे को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है। ऐसे में वामपंथी दलों ने एक सीट के आरजेडी के प्रस्ताव को नकार दिया है। इस बीच, दिल्ली में महागठबंधन के नेताओं की बैठक में भी वामपंथी दलों को नहीं बुलाया गया है। ऐसे में यह कयास लगाया जाने लगा है कि महागठबंधन में सम्मानजनक सीटें न मिलने पर वामपंथी दल 'तीसरे मोर्चे' की भूमिका में नजर आ सकते हैं।

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के आवास पर सीट बंटवारे को लेकर आठ जनवरी को हुई महागठबंधन की बैठक में भी वामपंथी दलों को आमंत्रित नहीं किया गया था। सूत्रों का कहना है कि आरजेडी ने महागठबंधन की ओर से वामपंथी दलों को एकमात्र आरा लोकसभा सीट की पेशकश की है, जिसे वाम दलों ने खारिज कर दिया है।

लोकसभा चुनाव में वाम दल भले ही बिहार में अपनी जमीन तलाश रहे हैं, लेकिन यह भी हकीकत है कि बिहार में करीब सात-आठ सीटों पर उनका जनाधार बरकरार है और नतीजे पर वे असर डालते हैं।

राजनीति विशेषज्ञों की मानें तो बिहार में जन अधिकार पार्टी जैसे कुछ ऐसे दल भी हैं, जिनसे सीट बंटवारे को लेकर अब तक महागठबंधन के लोगों ने बात नहीं की है। ऐसे में वे दल और वामपंथी तीसरे मोर्चे के रूप में सामने आ सकते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में वाम दलों में एकता नहीं बनी थी, लेकिन इस चुनाव में वाम दल साथ हैं, और ऐसे में उनकी ताकत में इजाफा को भी नकारा नहीं जा सकता है।

पिछले लोकसभा चुनाव में सीपीआई (एमएल) ने जहां 23 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, वहीं एमकेपी छह और सीपीआई ने दो सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी चुनाव में उतारे थे। बिहार की आरा, सीवान, बेगूसराय, पाटलीपुत्र, काराकाट, उजियारपुर, मधुबनी सीटों पर वाम दलों का प्रभाव माना जाता है।

सीपीआई एमएल के राज्य सचिव कुणाल ने कहा, 'कई दौर की बातचीत के बाद महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बात नहीं बनी है, मगर बातचीत जारी है। आरजेडी आरा की सीट देने को तैयार है, परंतु इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया गया है।'

उन्होंने कहा, 'कोई भी वामपंथी दल महागठबंधन का हिस्सा नहीं है। लोकसभा चुनाव में सीटों को लेकर करार नहीं हुआ, तो वाम दल एकजुटता के साथ चुनाव लड़ेंगे, जिसकी तैयारी भी है।' वहीं बीकेपी के राज्य सचिव सत्यनारायण ने कहा कि दिल्ली में महागठबंधन की हो रही बैठक की वाम दलों को कोई सूचना नहीं दी गई है। हालांकि उम्मीद है कि महागठबंधन में वामपंथी दलों को शामिल किया जाएगा।

सत्यनाराण ने कहा कि बेगूसराय से कन्हैया कुमार को चुनाव लड़ाने की तैयारी चल रही है। इसमें कोई फेरबदल नहीं हो सकता। सभी जानते हैं कि वामपंथी दलों के बिना बीजेपी को हराना मुशिकल है। ऐसे में सम्मानजनक समझौता होना चाहिए। वहीं, सीपीआई के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने स्पष्ट किया कि महागठबंधन में सीपीआई को दरकिनार करके सीट बंटवारा हो ही नहीं सकता।