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दिल्ली के मुख्यमंत्री ने एक दिन पहले दावा किया था कि दिल्ली के अस्पतालों में लंबी कतार का मुख्य कारण दूसरे राज्यों के मरीजों का यहां आना है। इसके बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का यह बयान आया है। तिवारी ने कहा कि बिहार अथवा किसी अन्य राज्य से कोई व्यक्ति अगर दिल्ली में इलाज कराता है तो अरविंद केजरीवाल को दर्द क्यों होता है।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि एक बार फिर से उन्होंने (केजरीवाल) अपनी 'नफरत' दिखायी है। केजरीवाल ने रविवार को संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में 362 बिस्तरों वाले नये ट्रॉमा सेंटर का शिलान्यास करते हुए दावा किया था कि शहर के सरकारी अस्पतालों में लंबी कतारों के पीछे दूसरे राज्यों से आने वाले मरीज एक ''प्रमुख कारण'' हैं।

उन्होंने अपनी सरकार की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को ''बेजोड़'' करार देते हुए कहा था कि यहां चिकित्सा और दवा नि: शुल्क है, जिससे अन्य राज्य के लोग यहां आते हैं।

केजरीवाल ने कहा था, ''बिहार से एक आदमी 500 रुपए का टिकट खरीदकर दिल्ली आता है और 5 लाख रुपए का फ्री इलाज करवाकर वापस लौटता है। इससे हमें खुशी मिलती है क्योंकि वह हमारे देश के लोग हैं लेकिन दिल्ली की अपनी एक क्षमता है। दिल्ली पूरे देश के लोगों का इलाज कैसे करेगी? इसलिए व्यवस्था को सुधरना चाहिए।'

तिवारी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ''अगर केजरीवाल को मुझसे कोई व्यक्तिगत और राजनीतिक शत्रुता तो वह मुझे सीधा कुछ भी कह सकते हैं। अपनी सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं का हवाला देते हुए वह बिहार, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्य के लोगों का अपमान क्यों कर रहे हैं।''

केजरीवाल ने पिछले हफ्ते तिवारी पर हमला बोलते हुए कहा था कि दिल्ली में अगर राष्ट्रीय नागरिक पंजी व्यवस्था लागू होती है तो वह (तिवारी) पहले ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें दिल्ली छोड़ना होगा । गौतलब है कि तिवारी ने दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे 'विदेशियों' को बाहर निकालने के लिए यहां एनआरसी लागू करने की मांग कर चुके हैं।

बिहार के रहने वाले तिवारी ने कहा, ''केजरीवाल को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए लोगों का समर्थन नहीं मिल रहा है जिसकी वजह से वह बेचैन हैं । इसलिए, वह दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचलियों, बिहारियों और अन्य को अपमानित करने के लिये मुझे निशाना बना रहे हैं।''

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि यह समझ से परे है कि केजरीवाल यहां इलाज के लिए आने वाले लोगों का विरोध क्यों कर रहे हैं।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।