नए रॉ प्रमुख सामंत गोयल
Twitter

भारत के दो खुफिया प्रमुखों का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बुधवार 26 जून को अरविंद कुमार को इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) का प्रमुख नियुक्त किया और सामंत गोयल को रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) का प्रमुख बनाया।

जानकारी के मुताबिक, अरविंद कुमार राजीव जैन की जगह लेंगे और सामंत गोयल अनिल धस्माना के उत्तराधिकारी होंगे। राजीव जैन और अनिल धस्माना का कार्यकाल क्रमशः 29 जून और 30 जून को समाप्त हो रहा है।

1984 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी, कुमार और गोयल, 30 जून को कार्यभार संभालेंगे।

आज की नियुक्तियाँ मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति द्वारा की गईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल की इस समिति के अध्यक्ष हैं।

दिसंबर 2016 में नियुक्त किये गए जैन और धस्माना को देश चुनाव मोड में चले जाने के चलते छह महीने का सेवा विस्तार दिया गया था।

आईबी देश की आंतरिक सुरक्षा की देखभाल करती है जबकि रॉ बाहरी ख़ुफ़िया जानकारियों की जिम्मेदारी संभालती है।

पंजाब कैडर के आईपीएस अधिकारी सामंत गोयल के बारे में बताया जाता है कि 1990 के दशक में पंजाब में उग्रवाद चरम पर था। उस वक्त सामंत गोयल ने उग्रवाद के खिलाफ कई अभियान चलाए थे और इस पर लगाम लगाया था।

वहीं पुलवामा आतंकी हमले के बाद सामंत गोयल ने बालाकोट एयर स्ट्राइक की प्लानिंग की थी। पुलवामा में आतंकियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया था, जिसमें 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद भारत ने बालाकोट एयर स्ट्राइक की थी और आतंकियों के ठिकानों को नेस्तनाबूत किया था।

इंटेलिजेंस ब्यूरो के नए निदेशक बनाए गए अरविंद कुमार असम-मेघालय कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। फिलहाल अरविंद कुमार, आईबी में ही विशेष सचिव हैं। उन्हें कश्मीर मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है।

मालूम हो कि अपने दूसरे कार्यकाल में केंद्र की मोदी सरकार कश्मीर को लेकर और अधिक गंभीर हुई है। गृह मंत्री अमित शाह भी कई बैठकों में कश्मीर मुद्दा सुलझाने को लेकर चर्चा कर चुके हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही आईबी को सीधे उन्हें रिपोर्ट करने का आदेश दे चुके हैं। इससे पहले पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी आईबी को सीधे रिपोर्ट के आदेश दिए थे। नॉर्थ ब्लॉक में दो राज्य मंत्री अन्य विभागों के प्रबंधन का ध्यान रखेंगे।

नए इंटेल प्रमुखों की नियुक्ति के बाद अब सभी की निगाहें भारत के सेना प्रमुख की नियुक्ति पर होगी, जो कि 2019 के अंत तक जनरल बिपिन रावत की सेवानिवृत्ति के साथ निर्धारित होगी।