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IANS

चुनाव आयोग ने 17वीं लोकसभा के लिए चुनावों की तारीखों का एलान कर दिया है. लोकसभा चुनाव सात चरणों में 11 अप्रैल से 19 मई तक होंगे. गुरूवार 23 मई को देश नई सरकार चुनेगा. चुनाव से पहले सभी दल अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं.

विपक्षी दल भले ही साथ आकर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को सत्ता से बाहर करने की योजना बना रहे हैं, लेकिन उनके हाथ सफलता लगती नहीं दिख रही. सी-वोटर की ओर से हाल ही में किए गए सर्वे के मुताबिक एनडीए आम चुनाव में बहुमत से थोड़ा दूर रहेगा, लेकिन चुनाव बाद गठबंधन के जरिए आराम से सरकार बना लेगा. उत्तर प्रदेश में महागठबंधन न होने की स्थिति में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए को 300 से अधिक सीटें मिल सकती हैं.

सी-वोटर द्वारा किए गए ताजा राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, उत्तर प्रदेश की जंग अगले लोकसभा की तस्वीर को तय करने का काम करेगी. यह सर्वेक्षण मार्च में उस समय किया गया, जब मोदी सरकार ने पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविर पर हवाई हमला किया, जिसके कारण पूरे देश में राष्ट्रवाद की लहर पैदा हो गई.

बीजेपी को उम्मीद है कि इस लहर पर सवार होकर वह विपक्ष को मात दे देगी और सर्वेक्षण ने इस बात की पुष्टि की है कि प्रधानमंत्री मोदी दौड़ में आगे हैं.

सर्वेक्षण में एनडीए को 264 सीटें दी गई हैं, जबकि यूपीए को 141 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है. इसके अलावा अन्य दलों को 138 सीटें मिल सकती हैं. यदि उत्तर प्रदेश में महागठबंधन नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में एनडीए 307 सीटें हासिल कर लेगा और यूपीए 139 सीटें और अन्य दलों के खाते में 97 सीटें जा सकती हैं.

अगर सिर्फ बीजेपी की बात करें, तो इस चुनाव में उसको 220 सीटें और उसके गठबंधन सहयोगियों को 44 सीटें मिल सकती हैं. अगर एनडीए मिजो नेशनल फ्रंट (MNF), वाईएसआर कांग्रेस, तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) और बीजू जनता दल (BJD) से चुनाव बाद गठबंधन करता है, तो उसकी सीटों की संख्या 301 हो जाएगी.

वहीं, कांग्रेस को 86 सीटों पर जीत मिलने की संभावना है और उसकी सहयोगी पार्टियों को 55 सीटें मिल सकती हैं. यूपीए अगर चुनाव बाद गठबंधन करता है और इसमें वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF), अखिल भारतीय संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (AIUDF), तृणमूल कांग्रेस (TMC), यूपी गठबंधन शामिल होती हैं, तो सीटों का कुल आंकड़ा 226 पहुंच जाएगा.

सर्वे के मुताबिक अगर यूपी में महागठबंधन होता है, तो बीजेपी 71 से 29 सीटों तक सिमट सकती है. महागठबंधन नहीं होने की स्थिति में बीजेपी 2014 के नतीजों को दोहरा सकती है और 72 सीटों पर कब्जा कर सकती है.

बीजेपी को बिहार से सबसे ज्यादा 36 सीटें मिल सकती हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बिहार में 22 सीटों पर जीत मिली थी. इस बार गुजरात में भी बीजेपी की सीटें कम हो सकती हैं. इस बार बीजेपी को वहां 24 सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है. पिछली बार गुजरात में बीजेपी को सभी 26 सीटों पर जीत मिली थी. इसके अलावा कर्नाटक में बीजेपी की एक सीट कम हो सकती है और सिर्फ 16 सीटों पर ही जीत मिलने की संभावना है.

इसी तरह मध्य प्रदेश में पिछली बार की तुलना में 2 सीटें कम यानी 24 सीटें मिल सकती हैं. राजस्थान में भी बीजेपी को चार सीटें कम यानी 20 सीटें मिलने की बात कही जा रही है. वहीं, महाराष्ट्र में बीजेपी को इस बार 13 सीटें ज्यादा मिल सकती हैं. इस बार बीजेपी को महाराष्ट्र में 36 मिलने की बात कही जा रही है. इसके अलावा ओडिशा में भी बीजेपी को अच्छी जीत मिलने के आसार हैं. वहां बीजेपी को 12 सीटों पर जीत मिल सकती है, जबकि पिछली बार सिर्फ एक सीट पर बीजेपी जीत दर्ज कर पाई थी.

सर्वे में इस बार के चुनाव में कांग्रेस को बढ़त मिलने की बात कही जा रही है. कांग्रेस 2014 के 44 सीटों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करेगी. उसे असम में सात (2014 में 3 सीटें मिली थीं), छत्तीसगढ़ में पांच (पिछली बार सिर्फ एक सीट मिली थीं), केरल 14 सीटें, कर्नाटक में नौ सीटें, झारखंड में पांच (2014 से एक सीट कम), मध्य प्रदेश में पांच (2014 में 3 सीटें मिली थीं), महाराष्ट्र में सात (2014 में 4 सीटों पर जीत मिली थी), पंजाब में 12 (पिछली बार से नौ सीटें ज्यादा), राजस्थान में 5 सीटें (2014 में एक भी सीट नहीं मिली थी), तमिलनाडु में 4 (पिछली बार सीट एक भी सीट नहीं मिली थी) और उत्तर प्रदेश में चार सीटों पर जीत मिल सकती है.

पिछली बार यूपी में कांग्रेस को सिर्फ दो सीटों यानी रायबरेली और अमेठी सीट पर ही जीत मिली थी. अगर मतदान प्रतिशत के हिसाब से देखा जाए, तो यूपीए को 31.1 फीसदी मत मिलने के आसार हैं. पिछली बार लोकसभा चुनाव में यूपीए को 30.9 प्रतिशत वोट मिले थे. इसके अलावा अन्य राजनीतिक दलों को 28 फीसदी मत मिल सकते हैं.