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पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में रविवार को पुलिस और सीबीआई आमने-सामने आने के बाद शुरू हुए हाईवोल्टेड ड्रामे की बीच बड़ी खबर सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले में केंद्र सरकार और सीबीआई सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है. जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल सरकार पर सुप्रीम कोर्ट की जांच को बाधित करने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रही है.

केंद्र सरकार कोर्ट को बताएगी कि सुप्रीम कोर्ट ने ही चिट फंड घोटाले की जांच के आदेश दिए थे. केंद्र सरकार का कहना है कि कोर्ट के आदेश पर मामले की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों को हिरासत में लेना और और उनके उत्पीड़न से साफ है कि राज्य सरकार कानून के प्रति लापरवाह है. केंद्र सुप्रीम कोर्ट से पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस के लिए उचित निर्देश मांगेगा.

सारदा चिटफंड घोटाले में जांच करने पहुंची सीबीआई की टीम को कोलकाता पुलिस ने हिरासत में ले लिया. यही नहीं पुलिस भी सीबीआई दफ्तर से पांच अधिकारियों को हिरासत में लेने पहुंच गई.

इधर सीबीआई टीम चिटफंड मामले में कोलकाता पुलिस प्रमुख के घर पहुंची तो राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पुलिस प्रमुख राजीव कुमार के घर पहुंच गए. राजीव के घर पहुंची सीबीआई टीम को स्थानीय पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया, हालांकि, उन्हें बाद में छोड़ दिया गया. ममता बनर्जी ने राजीव कुमार को देश का सबसे अच्छा पुलिस अधिकारी बताया और टि्वटर के जरिए पीएम मोदी और भाजपा पर निशाना साधा. ममता बनर्जी ने राजीव कुमार के घर के बाहर भी केंद्र सरकार और भाजपा पर निशाना साधा.

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ममता बनर्जी ने कहा, 'आप किसी कमिश्नर के घर बिना किसी वारंट के कैसे आ सकते हैं? मेरे अधिकारी को बचाना मेरा काम है.' वहीं, सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर पंकज श्रीवास्तव का कहना है कि यह जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर की जा रही है तो ऐसे मे हमें किसी वारंट या ऑर्डर की जरूरत नहीं है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि यह सब कुछ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल करा रहे हैं. 'सीबीआई को डोभाल ही निर्देश दे रहे हैं.' ममता ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, पीएम मोदी और शाह के इशारे पर यह काम कर रहे हैं.

साथ ही बनर्जी ने कहा, 'उन्होंने (पीएम) सीबीआई अधिकारियों को बुलाया और कहा कि 'कुछ तो करो, कुछ तो करो'. भाजपा एक चोर पार्टी है, हम नहीं. चिट फंड के नाम पर वह जो चाहते हैं वही कर रहे हैं. हम वह हैं जिन्होंने चिट फंड के मालिकों को गिरफ्तार किया था.' सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव ने कहा कि पश्चिम बंगाल पुलिस सहयोग नहीं कर रही है, इसलिए सोमवार को हम सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे.

टीएमसी प्रमुख ने आरोप लगाया कि भाजपा विरोधी दलों की रैली आयोजित करने पर भाजपा हमें निशाना बना रही है. बता दें, सीबीआई और पुलिस के आमने सामने आने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी धरने पर बैठ गईं. ममता के लिए आधी रात को धरने के लिए स्टेज बना दिया गया. रात ठीक 1.20 पर ममता मंच पर पहुंचीं और शॉल ओढ़कर कुर्सी पर बैठ गईं, जबकि कई नेता उनके साथ स्टेज पर नीचे बैठे हैं.

वहीं दूसरी तरफ इस मामले के बढ़ जाने के बाद कोलकाता में सीबीआई दफ्तर के बाहर CRPF की टुकड़ी पहुंच गई है और मोर्चा संभाल लिया है. बताया जा रहा है कि कार्यालय की सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ को बुलाया गया है. इस बीच खबर है कि सीबीआई ने इस पूरे मामले में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की है और उनसे मिलने का समय मांगा है.

सारदा स्कैम करीब 2500 करोड़ रुपये का है और रोज वैली स्कैम करीब 17,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का है. अधिकारियों के मुताबिक, दोनों ही मामलों में आरोपियों के कथित तौर पर सत्ताधारी टीएमसी से लिंक पाए गए हैं. इन दोनों ही चिटफंड घोटालों की जांच सीबीआई कर रही है. इस मामले में बीती 11 जनवरी को सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया.

रोज वैली ग्रुप चिटफंड घोटाले में कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय और तापस पॉल को सीबीआई गिरफ्तार कर चुकी है. सीबीआई ने रोज वैली के अध्यक्ष गौतम कुंदू और तीन अन्य पर आरोप लगाया था कि उन्होंने देशभर में निवेशकों को 17,000 करोड़ रुपये की चपत लगाई है. वहीं सारदा के चेयरमैन सुदीप्त सेन हैं. सेन पर आरोप है कि उन्होंने कथित फ्रॉड करके फंड का गलत इस्तेमाल किया.

अधिकारियों ने बताया कि इन चिटफंड कंपनियों ने आकर्षक ब्याज का लालच देकर निवेशकों को अपने जाल में फंसाया. मैच्योरिटी के बाद जब जमाकर्ता अपना रिटर्न लेने पहुंचे तो कंपनियों ने पैसे देने से मना कर दिया. आखिरकार इन कंपनियों ने अपनी दुकानों और दफ्तरों को बंद कर दिया. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में इन मामलों को जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया था.

जांच रिपोर्ट के मुताबिक, सारदा ग्रुप की चार कंपनियों का इस्तेमाल तीन स्कीमों के जरिए पैसा इधर-उधर करने में किया गया. ये तीन स्कीम थीं- फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉजिट और मंथली इनकम डिपॉजिट. इन स्कीम के जरिए भोले भाले जमाकर्ताओं को लुभाने की कोशिश हुई और उनसे वादा किया गया कि बदले में जो इनसेंटिव मिलेगा वो प्रॉपर्टी या फॉरेन टूर के रूप में होगा. रिपोर्ट के मुताबिक, 2008 से 2012 की ग्रुप की समरी रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि ग्रुप की चार कंपनियों ने अपनी पॉलिसियां जारी करके 2459 करोड़ रुपये को ठिकाने लगाया है.