आनंद भवन
आनंद भवनWikimedia Commons

प्रयागराज में स्थित प्रतिष्ठित आनंद भवन, स्वराज भवन और जवाहर तारामंडल को प्रयागराज नगर निगम (पीएमसी) ने गृहकर के रूप में 4.35 करोड़ रुपये चुकाने का नोटिस जारी किया है. आनंद भवन और स्वराज भवन नेहरू परिवार का घर रहा है. स्वराज भवन अब नेहरू परिवार की स्मृतियों के एक संग्रहालय तौर पर संचालित होता है, जबकि आनंद भवन भी एक संग्रहालय है, जहां भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ीं विभिन्न वस्तुएं और लेख प्रदर्शित हैं.

तीनों इमारतों का रखरखाव जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड द्वारा किया जाता है, जो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में एक चैरिटेबल (धर्मार्थ) ट्रस्ट है.

पीएमसी अधिकारियों के अनुसार, नोटिस इस आधार पर दिया गया है कि आनंद भवन और आस-पास की इमारतों का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है और इसलिए बढ़ाए गए गृहकर का भुगतान किया जाना चाहिए.

प्रयागराज नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी, पी.के. मिश्रा ने कहा, "करीब दो सप्ताह पहले, हमने आनंद भवन, स्वराज भवन और जवाहर तारामंडल को गृहकर का एक नोटिस भेजा था. जवाब में, हमें दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड के प्रशासनिक सचिव एन. बालकृष्णन का पत्र मिला है. पत्र को एक विस्तृत सर्वेक्षण करने और कुल लंबित बकाया के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश के साथ जोनल कार्यालय (चार) को भेज दिया गया है. रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा."

महापौर अभिलाषा गुप्ता 'नंदी' ने कहा कि नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड से एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें आनंद भवन और आसपास के परिसरों पर लगाए गए व्यावसायिक कर की समीक्षा करने का अनुरोध किया गया है, क्योंकि वे विरासत वाली इमारतें हैं.

महापौर ने कहा, "इस दिशा में आगे कदम उठाने से पहले संबंधित फाइलों और दस्तावेजों का अध्ययन किया जाएगा."

दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड के सचिव एन. बालकृष्णन ने कहा कि 2003-04 में ट्रस्ट द्वारा 3,000 रुपये का बिल मिला था, जिसका विधिवत भुगतान किया गया था.

हालांकि, 2005 में, 2004-05 के लिए 24.67 लाख रुपये से अधिक का बिल फंड को भेजा गया था. वर्ष 2013-14 तक 12.34 लाख रुपये का वार्षिक बिल भेजा जाता रहा, लेकिन 2014-15 से इसे घटाकर 8.27 लाख रुपये कर दिया गया.

एन. बालाकृष्णन ने आगे कहा कि जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड एक धर्मार्थ ट्रस्ट है और किसी भी व्यावसायिक गतिविधियों में शामिल नहीं है. ट्रस्ट को नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 117 बी के तहत इस तरह के करों से छूट दी गई है.

उन्होंने कहा कि परिसर में पिछले चार दशकों से कोई नया निर्माण नहीं किया गया, लेकिन गृहकर बढ़ा दिया गया. गृहकर की गणना ठीक से नहीं की गई और यहां तक कि इसमें खाली जमीन भी शामिल कर दी गई है.

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी आईएएनएस द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.