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जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों और जामिया नगर के निवासियों समेत सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को सोमवार सुबह संसद की ओर मार्च करने से रोकने पर पुलिस के साथ उनकी भिड़ंत हो गयी।

जामिया समन्वय समिति (जेसीसी) के नेतृत्व में जामिया के छात्रों और पूर्व छात्रों सहित प्रदर्शनकारियों ने रैली निकालने की कोशिश की। प्रदर्शनकारी संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ संसद की ओर मार्च निकालने वाले थे।

पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को संसद की ओर मार्च करने की इजाजत नहीं थी। विश्वविद्यालय के आसपास सुरक्षाकर्मियों की भारी तैनाती की गयी थी। प्रदर्शनकारियों ने जामिया के गेट नंबर-सात से अपना मार्च शुरू किया। पुलिस ने उनसे अपना मार्च खत्म करने की अपील की।

प्रदर्शनकारी ''कागज नहीं दिखाएंगे' और 'जब नहीं डरे हम गोरों से तो क्यों डरे हम औरों से' जैसे नारे लगा रहे थे। प्रदर्शन में कई महिलाएं भी थीं। हाथों में कई लोग तिरंगा थामे हुए थे और 'हल्ला बोल' के नारे लगा रहे थे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मानव श्रृंखला भी बनायी।

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IANS

प्रदर्शनकारी जेबा अनहद ने कहा, ''दो महीने से हम प्रदर्शन कर रहे हैं। हमसे बात करने के लिए सरकार की तरफ से कोई नहीं आया, इसलिए हम उनके पास जाना चाहते हैं।''

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की तो उनकी धक्का-मुक्की हो गयी। कई प्रदर्शनकारी बैरिकेड को पार कर गए।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रॉक्टर वसीम अहमद खान ने छात्रों से वापस लौट जाने और पुलिस के साथ नहीं भिड़ने की अपील की।

उन्होंने छात्रों से आग्रह किया, 'संदेश भेजा गया है। मैं भीड़ में शामिल छात्रों से विश्वविद्यालय वापस लौटने का अनुरोध करता हूं। कानून का सम्मान करते हुए शांतिपूर्वक वापस लौट जाएं।'

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.