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निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा ने बुधवार को कहा कि अगर जवाहर लाल नेहरू की जगह मोहम्मद अली जिन्ना को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया होता तो आज भारत और पाकिस्तान एक होते. पणजी से 40 किमी दूर गोवा प्रबंध संस्थान के एक कार्यक्रम को संबोधित करते दलाई लामा ने दावा किया कि अगर महात्मा गांधी की जिन्ना को पहला प्रधानमंत्री बनाने की इच्छा को अमल में लाया गया होता, तो भारत का बंटवारा नहीं होता.

सही निर्णय लेने संबंधी एक छात्र के प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि सामंती व्यवस्था के बजाय प्रजातांत्रिक प्रणाली बहुत अच्छी होती है. सामंती व्यवस्था में कुछ लोगों के हाथों में निर्णय लेने की शक्ति होती है, जो बहुत खतरनाक होता है,' उन्होंने कहा, 'अब भारत की तरफ देखें, मुझे लगता है कि महात्मा गांधी जिन्ना को प्रधानमंत्री का पद देने के बेहद इच्छुक थे, लेकिन पंडित नेहरू ने इसे स्वीकार नहीं किया.'

उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि खुद को प्रधानमंत्री के रूप में देखना पंडित नेहरू का आत्म केंद्रित रवैया था. अगर महात्मा गांधी की सोच को स्वीकारा गया होता, तो भारत और पाकिस्तान एक होते.' उन्होंने कहा, 'मैं पंडित नेहरू को बहुत अच्छी तरह जानता हूं. वो बेहद अनुभवी और बुद्धिमान व्यक्ति थे, लेकिन कभी-कभी गलतियां हो जाती हैं.'

1989 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किए गए आध्यात्मिक गुरू ने करीब घंटे भर के संबोधन के बाद छात्रों के सवालों का जवाब देते हुए कहा, 'मुझे कोई चिंता नहीं है. आजकल, चीन सरकार मेरी तुलना में कहीं अधिक चिंतित है. राजनीतिक कारणों को लेकर चीन सरकार चिंतित है.'

गौरतलब है कि 1959 में दलाई लामा भारत पलायन कर गए थे. दलाई ने कहा, ' 2011 में वह राजनीतिक जिम्मेदारी से पूरी तरह से मुक्त हो गए. अब निर्वाचित राजनैतिक नेतृत्व की पूरी जिम्मेदारी चीन निभा रहा है, मैं उनके फैसलों में शामिल नहीं होता.''

भविष्य के दलाई लामा के बारे में उन्होंने कहा कि विभिन्न बौद्ध परंपराओं के सभी नेता नवंबर में तिब्बत में बैठक करते हैं. उन्होंने कहा, 'इस नवंबर हम फिर से बैठक कर रहे हैं. पहले की बैठकों में उन लोगों ने यह फैसला किया था कि जब मैं करीब 90 साल का हो जाउंगा, तब नेताओं का समूह भविष्य के दलाई लामा के बारे में फैसला करेगा.'