नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत
नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वतTwitter / @ANI

नीति आयोग के सदस्य और पूर्व डीआरडीओ चीफ वीके सारस्वत ने कश्मीर में इंटरनेट पर पाबंदी पर विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर कश्मीर में इंटरनेट नहीं है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता वैसे भी उस पर गंदी फिल्में ही देखी जाती हैं।

शनिवार को गांधीनगर में एक संस्थान के सालाना दीक्षांत समारोह में बतौर चीफ गेस्ट पहुंचे सारस्वत ने कहा, ''अगर कश्मीर में इंटरनेट न हो तो क्या फर्क पड़ता है? आप इंटरनेट पर क्या देखते हैं? वहां क्या ई-टेलिंग हो रही है? गंदी फिल्में देखने के अलावा आप उस पर (इंटरनेट) कुछ भी नहीं करते हैं।"

गौरतलब है कि अगस्त में जम्मू कश्मीर अनुच्छेद 370 हटाए जाने और इसे दो हिस्सों में बांटने के दौरान इंटरनेट पर पाबंदी लगाई थी। इसके बाद शनिवार को ही घाटी में सभी लोकल प्रीपेड मोबाइल सेवाएं बहाल हुईं हैं। यहां प्रीपेड कॉल, एसएमएस और 2जी इंटरनेट सेवाएं शुरू हुईं हैं।

एक सवाल के जवाब में वीके सारस्वत ने कहा, 'कश्मीर में इंटरनेट बंद है, मगर गुजरात में तो चल रहा है। कश्मीर में इंटरनेट बंद करने के पीछे कुछ वजह है। अगर कश्मीर में स्थिरता लानी है और उसे एक राज्य के तौर पर आगे लाना है, तो हमें मालूम है वहां ऐसे तत्व हैं जो संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग करेंगे और हम जो शांति लाना चाहते हैं और कानून-व्यवस्था लाना चाह रहे हैं, उसे खराब करेंगे।'

इससे पहले उन्होंने कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि नेता कश्मीर क्यों जाना चाह रहे हैं। कश्मीर जाकर वे दिल्ली की तरह प्रदर्शन भड़काना चाह रहे हैं। वे सोशल मीडिया की मदद से विरोध प्रदर्शन को बढ़ावा दे रहे हैं।

उन्होंने कहा, 'हमारे जो पॉलिटिशन कश्मीर जाना चाहते हैं, वे क्यों जाना चाहते हैं। वे दिल्ली की तरह कश्मीर में भी सड़कों पर प्रदर्शन भड़काना चाह रहे हैं। सोशल मीडिया इसमें आग की तरह काम करता है। ऐसे में इंटरनेट बंद है तो वहां क्या फर्क पड़ता है। और वैसे भी वहां इंटरनेट पर गंदी फिल्में देखने के अलावा कुछ नहीं करते हैं आप?'

बता दें कि वीके सारस्वत जेएनयू के चांसलर भी हैं। उन्होंने इससे पहले बुधवार को जेएनयू में फीस बढ़ोतरी को लेकर प्रदर्शन पर कहा था कि आंदोलनकारी छात्र और शिक्षक किसी भी प्रकार का अनुशासन नहीं चाहते हैं। उन्होंने जेएनयू में चल रही समस्याओं के लिए पिछले 50-60 वर्षों से छात्रों और शिक्षकों को मिल रही छूट को जिम्मेदार ठहराया।

(समाचार एजेंसी एएनआई के इनपुट के साथ)