जल्लाद पवन
जल्लाद पवनANI

मंगलवार, 7 जनवरी को निर्भया के हत्यारों का दिल्ली की अदालत से 'डेथ- वारंट' जारी होते ही तिहाड़ जेल प्रशासन ने फांसी दिलवाने की तैयारियां युद्ध-स्तर पर शुरू कर दी हैं. इन तैयारियों में सबसे पहली जरूरत था जल्लाद. जल्लाद का इंतजाम करने की हामी उत्तर प्रदेश जेल महकमे ने भर ली है. इसकी पुष्टि दिल्ली जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने मंगलवार रात बातचीत के दौरान की.

संदीप गोयल के मुताबिक, "हम लोग जल्लाद को लेकर यूपी जेल प्रशासन के लगातार संपर्क में हैं. इस बारे में यूपी के जेल महानिदेशक आनंद कुमार से बात हुई. उन्होंने मेरठ में मौजूद जल्लाद तिहाड़ जेल भेजे जाने की सहमति दी है."

जल्लाद की जरूरत फिलहाल फांसी वाले दिन से कितने वक्त पहले पड़ेगी? पूछे जाने पर दिल्ली जेल महानिदेशक ने कहा, "यह सब एक लंबी प्रक्रिया है. हां, जिस जगह से यूपी जेल डिपार्टमेंट जल्लाद भेजेगा वो दिल्ली से कोई ज्यादा दूर नहीं है. जरूरत के हिसाब से सही वक्त आने पर उसे उचित माध्यम से बुला लिया जाएगा."

वहीं संभावित जल्लाद पवन ने मंगलवार को फोन पर हुई विशेष बातचीत के दौरान बताया, "मैं फिलहाल सहारनपुर में हूं. निर्भया के हत्यारों को फांसी लगाने के लिए तैयार रहने को पहले कहा गया था. जैसे ही मुझे सरकारी तौर पर मेरठ जेल से बुलावा आएगा मैं दिल्ली (तिहाड़ जेल) पहुंच जाऊंगा."

पवन के मुताबिक, "मैं तो बहुत पहले से कह रहा था कि निर्भया को हत्यारों को जल्दी फांसी लगाओ-चढ़ाओ, ताकि कोई और ऐसी हरकत करने की न सोच सके. अगर और पहले सरकार ने निर्भया के हत्यारों को लटका दिया होता तो हैदराबाद में महिला डॉक्टर क्रूर मौत के मुंह में असमय ही जाने से बच जाती."

पवन ने आगे कहा, "मैं पुश्तैनी (खानादानी) जल्लाद हूं. मुझे कोई खास तैयारी नहीं करनी. बस जेल प्रशासन जो रस्से, फांसीघर देगा उसका एक बार गहराई से निरीक्षण करूंगा. चारों मुजरिमों का वजन, कद-काठी का मेजरमेंट करना होगा. उसी हिसाब-किताब से बाकी आगे की तैयारी शुरू कर दूंगा."

बातचीत के दौरान पवन ने बताया, "मेरे परदादा लक्ष्मन, दादा कालू उर्फ कल्लू, पिता मम्मू भी जल्लाद थे. मैंने भी अपने पुरखों के साथ कई फांसी लगाने में हिस्सा लिया. उन्हीं से फांसी लगाने की कला सीखी. फांसी लगाना बच्चों का खेल नहीं. बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है, क्योंकि जल्लाद की एक गल्ती का खामियाजा फांसी पर टंगने वाले को बहुत बुरे हाल में ला सकता है."

बातचीत के दौरान पवन ने माना कि उसने, दादा कालू राम जल्लाद के साथ 20-22 साल की उम्र में दो सगे भाइयों की फांसी लगवाई थी. वो फांसी पटियाला सेंट्रल जेल में लगाई गई थी.

बता दें, इस वक्त पवन की उम्र करीब 58 साल होगी. बकौल पवन जल्लाद, "जहां तक मुझे याद आ रहा है सन् 1988 के आसपास मैंने दादा कालू राम जल्लाद के साथ अभी तक की अंतिम फांसी आगरा सेंट्रल जेल में लगाई थी. फांसी चढ़ने वाला बुलंदशहर इलाके में हुई एक बलात्कार और हत्या का मुजरिम था. जिसे फांसी चढ़वाया मैंने दादा के साथ मिलकर. आगरा सेंट्रल जेल से पहले मैं अपने पुरखों के साथ जयपुर और इलाहाबाद (अब प्रयागराज) जेल में भी फांसी लगवाने गया था."

पवन जल्लाद इस बात को लेकर काफी खुश था कि निर्भया के मुजरिमों को लटकाने का मौका उसे मिलने की पूरी-पूरी संभावनाएं बन चुकी हैं. साथ ही वो इस बात को लेकर भी बेहद खुश नजर आया कि तमाम उम्र मुजरिमों को फांसी पर लटकाते रहने के बाद भी वो गरीब ही रहा.

हां, इस बार (निर्भया के चारों मुजरिमों को) चार-चार मुजरिमों को फांसी पर लटकाने का उसे बढ़ा हुआ मेहनताना करीब एक लाख रुपये (25 हजार रुपये प्रति मुजरिम) मिल सकता है, ताकि उसकी माली हालत में कुछ दिन के लिए ही सही. कम से कम कुछ सुधार तो होगा.

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी आईएएनएस द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.