-
Twitter / @PIB_India

भारत के उपग्रह भेदी मिसाइल परीक्षण (ए-सैट) 'मिशन शक्ति' पर अमेरिका के सरकारी रक्षा संस्थान नासा की प्रतिक्रिया आखिर आ गई है। नासा ने भारत के मिशन को बेहद 'भयानक' बताते हुए कहा कि इसकी वजह से अंतरिक्ष की कक्षा में करीब 400 मलबे के टुकड़े फैल गए हैं। नासा के मुताबिक, इससे आनेवाले दिनों में इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के लिए नया खतरा पैदा हो गया है। नासा की तरफ से यह बात उनके प्रमुख जिम ब्रिडेनस्टाइन ने कही। सोमवार को नासा के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने भारत द्वारा पांच दिन पहले किए गए टेस्ट का जिक्र किया।

बता दें कि भारत ने पृथ्वी की निचली कक्षा में 300 किलोमीटर की रेंज पर मौजूद एक सैटलाइट को मार गिराया था। इसकी जानकारी खुद पीएम मोदी ने देश को दी थी। उन्होंने देश के नाम संबोधन में बताया था कि ऐसा करके भारत ने स्पेस पावर के तौर पर खुद को स्थापित किया है। उन्होंने बताया था कि भारत का यह ऐंटी-सैटलाइट मिसाइल पूरी तरह से स्वदेशी है। इस टेस्ट को चिर-प्रतिद्वंद्वियों पाकिस्तान और चीन के लिए कड़ा संदेश भी माना जा रहा था।

-
Twitter / @PIB_India

ब्रिडेनस्टाइन के मुताबिक, सभी टुकड़े इतने बड़े नहीं हैं जिन्हें ट्रैक किया जा सके। उन्होंने कहा, 'हमारी उसपर नजर है। बड़े टुकड़े ट्रैक हो रहे हैं। हम लोग 10 सेंटीमीटर (6 इंच) से बड़े टुकड़ों की बात कर रहे हैं। ऐसे अबतक 60 टुकड़े मिले हैं।' उन्होंने कहा कि यह टेस्ट आईएसएस समेत कक्षा में मौजूद बाकी सभी सैटलाइट से नीचे किया गया था। लेकिन अब इसके करीब 24 टुकड़े इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन के ऊपर चले गए हैं।

नासा चीफ ने आगे कहा, 'यह भयानक, बेहद भयानक है कि ऐसा काम किया गया जिससे मलबा अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से भी ऊपर जा रहा है। ऐसी गतिविधियों की वजह से भविष्य में मानव को अंतरिक्ष में भेजना मुश्किल हो जाएगा।' वह यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे टेस्ट उन्हें स्वीकार नहीं हैं और नासा इसके असर को बिल्कुल साफ बताना चाहता है।

उन्होंने बताया कि फिलहाल यूएस मिलिट्री फिलहाल ऐसे 23,000 ऑब्जेक्ट पर नजर रखे हुए है जिनका साइज 10 सेंटीमीटर से ज्यादा है। इसमें 10,000 टुकड़े अंतरिक्ष मलबे के भी हैं। इनमें से 3 हजार सिर्फ चीन द्वारा 2007 में किए गए ऐसे ही प्रयोग की वजह से फैले थे। अब भारत द्वारा टेस्ट करने के बाद मलबे का स्पेस स्टेशन से टकराने के चांस 44 प्रतिशत बढ़ गए हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जैसे-जैसे मलबा वायुमंडल में प्रवेश करेगा वैसे-वैसे खतरा कम हो जाएगा।