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छत्तीसगढ़ के रायपुर में रहने वाले श्याम राव शिर्के ने देसी तकनीक का उपयोग करके एक ऐसा उपकरण तैयार किया है, जो नालियों और नालों से निकलने वाली मीथेन गैस को रसोई गैस में खाना बनाने में उपयोग करने में मदद करता है. उनके बनाये इस उपरकण के सहारे कोई भी व्यक्ति गैस चूल्हा लगाकर मीथेन गैस का उपयोग खाना बनाने के लिए कर सकता है.

दो दिन पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने एक सम्बोधन में श्याम राव शिर्के के इस प्रोजेक्ट का हवाला देते हुए इसकी तारीफ की थी. श्याम राव शिर्के ने इस प्रोजेक्ट को ग्लोबल पेटेंट भी करवा लिया है और जल्द ही इसे रायपुर के कुछ चुनिंदा नालों और नालियों में स्थापित किया जाएगा.

शिर्के ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए बताया की इस मशीन को प्लास्टिक के तीन ड्रमों और कंटेनर को आपस में जोड़कर बनाया गया है. इन कंटेनरों में एक वॉल्व लगा दिया जाता है. इन कंटेनरों को नदी, नाले के ऊपर उस स्थान पर रखा जाता है, जहां से बदबूदार पानी गुजरता है. ऐसे में गंदगी उस कंटेनर में समा ना जाए इसके लिए नीचे की ओर एक जाली लगाई जाएगी.

मशीन को इस तरह से फिट कर दिया जाता है जिससे ड्रम में इकट्ठी हुई गैस पर प्रेशर बने. नाला या नदी जितनी गहरी होगी गैस भी उसी अनुसार बनेगी. शिर्के की मानें तो उन्होंने चार माह तक एक दर्जन से ज्यादा व्यक्तियों का सुबह का नाश्ता, दोपहर और रात का भोजन इसी उपकरण की मदद से बनाया है.

पेशे से मैकेनिकल कांट्रेक्टर यानी ठेकेदार श्याम राव शिर्के अधिक पढ़े लिखे नहीं हैं और उन्होंने सिर्फ ग्यारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई की है. चार साल पहले उन्होंने अपने इस प्रोजेक्ट को पूरा किया और पेटेंट करवाने का प्रयास किया. श्याम राव के मुताबिक, उन्हें इस बात की खुशी है कि उनका मॉडल पेटेंट हो चूका है और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संज्ञान में भी आ चुका है. श्याम राव शिर्के के मुताबिक उनका यह प्रोजेक्ट वातावरण में फैलने वाली बदबू ही नहीं बल्कि कई तरह के कीट पतंगों को पैदा होने से भी रोकेगा. छत्तीसगढ़ काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है.