सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीरREUTERS

तकनीक में आधुनिकीकरण होने से आम लोगों की जिंदगी बहुत आसान हो जाती है। इस बात का सबूत तब मिला, जब अमेरिका के मिशिगन में रह रही पत्नी से भारत में रहने वाले पति ने वीडियो कॉल पर तलाक लिया। फैमली कोर्ट ने भी दोनों के इस फैसले को मंजूरी दे दी।

नागपुर के एक फैमिली कोर्ट ने एक दुर्लभ उदाहरण पेश करते हुए उठाते हुए पति-पत्नी को व्हाट्सएप पर तलाक दिलवाया। इस मामले में कोर्ट ने पत्नी की सहमति व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए दर्ज की। 35 वर्षीय पत्नी छात्र वीजा पर अमेरिका के मिशिगन में पढ़ाई कर रही है। अपने इंस्टीट्यूट द्वारा लंबी छुट्टी ना देने का हवाला देते हुए उसने कोर्ट की सुनवाई में उपस्थित होने में असमर्थता व्यक्त की थी और अनुरोध किया था कि मामले की सुनवाई व्हाट्सएप वीडियो कॉल के माध्यम से आयोजित की जाए। 37 वर्षीय पति नागपुर में खमला का निवासी है जो मिशिगन में काम करता है, लेकिन तलाक के केस की सुनवाई के दौरान अपने गृह नगर में ही था।

तलाक होने के लिए दोनों का कोर्ट में होना जरूरी था, लेकिन पत्नी के भारत आने पर उसे दूसरी बार अमेरिका का वीज़ा मिलना मुश्किल हो सकता था। इसलिए पति ने कोर्ट की मंजूरी से पत्नी को व्हाट्सएप वीडियो कॉल किया। पत्नी ने अदालत को बताया कि तलाक उसकी मंजूरी से हो रहा है। उसी ने तलाक के कागजात तैयार करवाए थे। पूरी जांच के बाद फैमिली कोर्ट ने इस दंपति को तलाक की मंजूरी दे दी।

दोनों पक्षों से सहमति मिलने के बाद नागपुर फैमिली कोर्ट की न्यायाधीश स्वाति चौहान ने पति द्वारा महिला को एकमुश्त 10 लाख रुपये का भुगतान करने की शर्त पर तलाक दिया। इस मामले का आदेश 14 जनवरी को दिया गया। फैमिली कोर्ट ने अदालत के निर्देश पर व्हाट्सएप वीडियो कॉल के माध्यम से पत्नी की सहमति दर्ज की थी। इस जोड़े ने 11 अगस्त, 2013 को तेलंगाना के सिकंदराबाद में अरेंज मैरिज की थी और दोनों बतौर इंजीनियर अमेरिका की एक ऑटोमोबाइल कंपनी में नौकरी करते थे।

पत्नी के अमेरिकी वीजा समाप्त होने पर जब वह नागपुर में ससुराल में रहने लगी तब दोनों के बीच मतभेद पैदा होने लगे। इसके बाद महिला छात्र वीजा पर मिशिगन लौट आई। समय के साथ उनके मतभेद गहरे होते गए और पति ने नागपुर फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दी थी। अदालत ने कानून के मुताबिक उनके मामले को एक काउंसलर को भेज दिया, ताकि दोनों को समझाया जा सके। लेकिन दोनों के विदेश में रहने की वजह से कई भी काउंसलर के पास नहीं जा पाया।

पत्नी की वकील स्मिता सरोद सिंघलकर ने बताया कि काफी कोशिश के बाद भी दोनों पक्षों के मतभेद खत्म नहीं हो पाए तो दोनों ही तलाक के लिए मान गए। जिसके बाद दोनों पक्षों के वकीलों ने तलाक की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। जिसमें महिला ने अपने भाई के द्वारा व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर फैमिली कोर्ट के समक्ष एक समझौता राशि के बदले सहमति दर्ज करवाई। इसके बाद कोर्ट ने दोनों को तलाक दिया, क्योंकि दोनों की करीब एक साल से अलग रह रहे थे जो कि तलाक के लिए जरूरी है।