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जस्टिस एस. मुरलीधरHigh Court website

दिल्ली में बीते दिनों हुई हिंसा पर बुधवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को फटकार लगाने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस एस. मुरलीधर का तबादला पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में कर दिया गया है। उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने कुछ दिन पहले ही उनके स्थानांतरण की सिफारिश की थी। नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बुधवार रात करीब 11 बजे जस्टिस मुरलीधर के तबादले से जुडी अधिसूचना जारी की गई।

केंद्रीय कानून मंत्रालय की तरफ से जारी गजट नोटिफिकेशन में कहा गया है कि सीजेआई एस. ए. बोबडे की सलाह पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस एस. मुरलीधर को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में ट्रांसफर किया है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने जस्टिस मुरलीधर को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में बतौर जज पद संभालने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति मुरलीधर दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई कर रहे थे और यह अधिसूचना ऐसे दिन जारी की गई जब उनकी अगुवाई वाली पीठ ने कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषणों को लेकर तीन भाजपा नेताओं के खिलाफ दिल्ली पुलिस के प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर ''नाराजगी'' जताई थी।

विधि एवं न्याय मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने प्रधान न्यायाधीश से विचार-विमर्श के बाद यह फैसला किया। अधिसूचना में हालांकि, यह जिक्र नहीं किया गया है कि न्यायमूर्ति मुरलीधर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अपना कार्यभार कब संभालेंगे।

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस. मुरलीधर का तबादला उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम की सिफारिश और ''सुस्थापित प्रक्रिया'' के तहत किया गया। दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ने न्यायमूर्ति मुरलीधर के स्थानांतरण की निंदा करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम से उनके फैसले को वापस लेने की मांग की है।

कांग्रेस के मुरलीधर के तबादले को लेकर सरकार पर निशाना साधने के बाद उन्होंने यह बयान दिया। पार्टी ने आरोप लगाया था कि दिल्ली हिंसा मामले में भाजपा नेताओं को बचाने के लिए सरकार ने न्यायाधीश का तबादला किया।

प्रसाद ने ट्वीट किया, ''माननीय न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर का तबादला 12 फरवरी को भारत के प्रधान न्यायाधीश के नेतृत्व में उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिश के तहत किया गया।'' उन्होंने कहा कि तबादला उनकी सहमति से किया गया है। ''इसे सुस्थापित प्रक्रिया के तहत किया गया।''

दिल्ली हिंसा से जुडी याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस मुरलीधर की अध्यक्षता वाली बेंच ने भड़काऊ भाषण के मामले में कपिल मिश्रा समेत नेताओं के खिलाफ ऐक्शन न लेने पर दिल्ली पुलिस को फटकार भी लगाई गई। कोर्ट ने इस मामले में गुरुवार को कोर्ट को बताने को कहा कि कितनी प्रगति हुई।

इस बीच जस्टिस एस मुरलीधर ने कहा, 'हम नहीं चाहते कि दिल्ली की हिंसा 1984 के दंगे का रूप ले ले।' इसके कुछ ही घंटों बाद उनके इस्तीफे ने राजनीतिक उफान पैदा हो गया।

जस्टिस एस मुरलीधर के तबादले को लेकर बीते हफ्ते भी सवाल उठे थे। इसके विरोध में वकीलों ने 20 फरवरी को प्रदर्शन किया था और कोर्ट से नदारद रहे थे। दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव पास करके उनके ट्रांसफर का विरोध किया और सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के तबादले के फैसले पर नाराजगी जाहिर की।

सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने 12 फरवरी को जस्टिस एस मुरलीधर का ट्रांसफर करने का सुझाव दिया था। इस संबंध में बुधवार को नोटिफिकेशन जारी किया।