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ANI

दिल यानी हृदय हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है. दिल के मरीजों से बात करिएगा तो पता चलेगा कि लाइफ के इस सिस्टम को लेकर किसी तरह का रिस्क नहीं लिया जा सकता. और बात जब मेडिकल इमरजेंसी की हो, तब तो और भी नहीं. खासकर हार्ट ट्रांसप्लांट का मामला हो तो, स्थिति और भी संवेदनशील हो जाती है. इसलिए तो दिल्ली में एक दिल के मरीज को जब हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ी तो दूसरे हॉस्पिटल से जिंदा, धड़कता हुआ दिल लाकर उसे लगाया गया.

इस काम में ज्यादा देरी न हो, इसलिए सड़क पर एंबुलेंस के लिए ग्रीन कॉरीडोर (Green Corridor) बनाया गया, ताकि दो शरीरों के बीच की दूरी को जल्द से जल्द पाटा जा सके. एंबुलेंस से साढ़े 3 मिनट से भी कम समय में 3.6 किलोमीटर दूर के हॉस्पिटल से दिल लाकर ट्रांसप्लांट किया गया.

यह मामला फोर्टिस हॉस्पिटल का था. इसमें भर्ती एक मरीज को डॉक्टरों ने हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत बताई थी. आनन-फानन में जब जिंदा और धड़कते दिल की खोज की गई तो वह इस हॉस्पिटल से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अपोलो हॉस्पिटल में मिला. फिर क्या था आनन-फानन में मेडिकल इमरजेंसी के तहत ग्रीन कॉरीडोर बनाया गया. इसमें पुलिस ने भी मदद की और अपोलो हॉस्पिटल से 3.6 किलोमीटर दूर फोर्टिस हॉस्पिटल में भर्ती मरीज तक दिल को पहुंचा दिया गया.

आप इसे किस्मत भी कह सकते हैं और मेडिकल साइंस का शुक्रिया अदा कर सकते हैं. वैसे देश में कई अन्य स्थानों पर भी हार्ट ट्रांसप्लांट या किडनी ट्रांसप्लांट के लिए ग्रीन कॉरीडोर बनते रहे हैं. गुजरात के सूरत से मुंबई तक शरीर के विभिन्न अंगों के ट्रांसप्लांट के कई केस आपको देखने को मिल सकते हैं.