सांकेतिक तस्वीर
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अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में आई हालिया तेजी भारत के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि त्योहारी सीजन शुरू होने से पहले पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि का सिलसिला फिर से शुरू हो गया है। ऊर्जा विशेषज्ञ बताते हैं कि भारतीय बाजार तेल की कीमतों को लेकर काफी संवदेनशील है, क्योंकि भारत तेल की अपनी 80 फीसदी से ज्यादा जरूरतों की पूर्ति आयात से करता है।

पिछले अक्टूबर में जब पेट्रोल और डीजल के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर चले गए थे, तब केंद्र सरकार ने तेल कीमतों में 2.5 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी, जिसके बाद कई प्रदेशों की सरकारों ने भी पेट्रोल और डीजल के दाम पर वैट में कटौती की थी। कच्चे तेल में आई तेजी के बाद सोमवार को लगातार दूसरे दिन पेट्रोल और डीजल के दाम में वृद्धि दर्ज की गई।

इंडियन ऑयल की बेवसाइट के अनुसार, दिल्ली, कोलकता, मुंबई और चेन्नई में पेट्रोल के दाम बढ़कर क्रमश: 72.42 रुपये, 75.14 रुपये, 78.10 रुपये और 75.26 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं। चारों महानगरों में डीजल के दाम भी बढ़कर क्रमश: 65.82 रुपये, 68.23 रुपये, 69.04 रुपये और 69.57 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं।

पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार दो दिनों में देश की राजधानी दिल्ली में 39 पैसे प्रति लीटर बढ़ गए हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि पेट्रोल और डीजल के दाम में वृद्धि होने से आम उपभोक्ताओं पर फिर महंगाई की जबरदस्त मार पड़ेगी, क्योंकि तेल के दाम में इजाफा होने से वस्तु एवं सेवाओं के मूल्य पर इसका सीधा असर होता है।

सऊदी अरब की सरकारी तेल उत्पादक कंपनी अरामको के संयंत्रों पर पिछले सप्ताह हौती विद्रोहियों द्वारा किए गए ड्रोन हमले के बाद सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेंचमार्क कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड के भाव में करीब 20 फीसदी की तेजी के साथ 71 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चला गया था, जोकि 28 साल बाद की सबसे बड़ी तेजी है। इससे पहले 14 जनवरी, 1991 को ब्रेंट के भाव में 21.54 फीसदी का उछाल आया था।

इस हमले के बाद तेल की आपूर्ति बाधित होने की आशंका से कीमतों में जबरदस्त तेजी आई। हालांकि सऊदी अरब द्वारा मंगलवार को तेल की बाधित आपूर्ति इस महीने के अंत तक बहाल करने का दावा किए जाने पर तेजी पर ब्रेक लग गया है।

ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने आईएएनएस से कहा कि सऊदी से तेल की आपूर्ति बाधित होने से ज्यादा, तेल के दाम में वृद्धि भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि तेल भारतीय अर्थव्यवस्था की धुरी है। उन्होंने कहा, "इस त्योहारी सीजन में तेल के दाम में बढ़ोतरी चिंता का कारण है, क्योंकि हमारे दैनिक जीवन के उपयोग आने वाली 60 फीसदी वस्तुएं तेल से बनी हैं।"

एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (ऊजार् व करेंसी रिसर्च) अनुज गुप्ता ने कहा कि तेल का दाम बढ़ने से देसी डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है और देश का आयात बिल बढ़ जाता है, जिससे चालू खाता घाटा में इजाफा होता है। वहीं, इसका सीधा असर वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य पर होता है और महंगाई बढ़ जाती है।

अरामको के तेल संयंत्र पर हमले के बाद खाड़ी क्षेत्र में फौजी तनाव बढ़ने की आशंका बनी हुई है, जिससे कच्चे तेल के दाम में तेजी का रुख बना रह सकता है। कच्चे तेल के भाव बढ़़ने से पेट्रोल, डीजल के साथ-साथ आने वाले दिनों में एलपीजी सिलिंडर समेत तमाम पेट्रोलियम उत्पादों के दामों में वृद्धि हो सकती है।

हालांकि सऊदी अरब से भारत में तेल की आपूर्ति प्रभावित होने के सवाल पर तनेजा ने कहा, "सऊदी अरब से आपूर्ति कम होना भारत के लिए चिंता का विषय नहीं है, क्योंकि भारत आपूर्ति में इस कमी की भरपाई इराक या किसी अन्य देशों से कर सकता है, मगर कीमतों में 28 साल बाद जो तेजी देखने को मिली है, वह चिंता का कारण है।"

उन्होंने कहा, "भारत इराक के बाद सबसे ज्यादा तेल का आयात सऊदी अरब से ही करता है। सऊदी अरब से भारत सालाना 21 अरब डॉलर मूल्य का तेल आयात करता है और अरामको के लिए भारत के तेल का अहम खरीदार है, इसलिए वह भारत को तेल की आपूर्ति में कमी नहीं होने देगी और उसने इस संबंध में भरोसा भी दिलाया है।"

इस हमले के बाद खाड़ी क्षेत्र में फौजी तनाव बढ़ने की संभावना को लेकर पूछे गए सवाल पर तनेजा ने कहा कि हालिया घटना से तनाव की स्थिति बनी हुई है, लेकिन इस समय किसी प्रकार की फौजी कार्रवाई की संभावना नहीं है, क्योंकि फौजी कार्रवाई से तेल के दाम में बेशुमार बढ़ोतरी होगी, जो अमेरिका नहीं चाहेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका में आगे राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है और अमेरिका का इतिहास देखें तो अमेरिका में वही राष्ट्रपति चुनाव जीतता रहा है, जो तेल की कीमतों को नियंत्रण में रख पाया है।

उन्होंने कहा कि इस बीच परदे के पीछे अमेरिका की ईरान के साथ बातचीत चल रही है जिससे खाड़ी क्षेत्र में तनाव कम हो सकता है। अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर बुधवार को ब्रेंट क्रूड के नवंबर अनुबंध में 0.34 फीसदी की कमजोरी के साथ 64.33 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था।

केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया ने कहा कि कच्चे तेल के दाम में बहरहाल जो नरमी देखी जा रही है, उसका कारण सऊदी अरब द्वारा तेल की आपूर्ति दो सप्ताह में बहाल करने को लेकर दिया बयान तो है ही, इसके अलावा बुधवार को आने वाले फेड के फैसले और अमेरिका में कच्चे तेल के भंडार की सप्ताहिक रिपोर्ट का भी कारोबारी इंतजार कर रहे हैं। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व बुधवार को ब्याज दर में वृद्धि को लेकर अपने फैसले की घोषणा करेगा।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी आईएएनएस द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।