मकबरे को अब आम जनता के लिए खोल दिया गया है
मकबरे को अब आम जनता के लिए खोल दिया गया हैमुहम्मद अल शाहिद/एएफपी/गेटी इमेजेस

वैली आॅफ किंग्स के बेहद मशहूर फेरो तूतनखामेन के मकबरे में कोई गुप्त या अनदेखे छिपे हुुए कक्ष या तहखाने नहीं हैं. इस बात के सामने आने के बाद आखिरकार इस किशोर राजा से संबंधित कहानियों और मिथकों पर विराम लगने की संभावना जताई जा रही है.

नेश्नल ज्योग्राफिक की रिपोर्ट के मुताबिक विशेषज्ञों ने मकबरे की दीवारों को ग्राउंड-पेनिट्रेटिंग राडार (जीपीआर) की मदद से स्कैन किया गया ताकि पता किया जा सके कि वहां पर कोई छिपा हुआ खजाना अपने में समेटे गुप्त कक्ष हैं या नहीं, लेकिन उनके हाथ असफलता ही लगी. इस संबंध में काउंसिल आॅफ एंटिक्वुईटीज द्वारा एक बयान जारी किया गया जिसमें उन्होंने अपने निष्कर्षों की पुष्टि की.

रिपोर्ट के अनुसार इस मकबरे की तहकीकात करीब तीन वर्ष पहले तब शुरू की गई जब मिस्त्र के विशेषज्ञ निकेलस रीव्स इस विचार के साथ सामने आए कि तूतनखामेन की कब्र के नीचे 10वें राजवंश का प्रतिनिधित्व करने वाली रानी नेफर्टिटी का मकबरा है. तूतनखामेन का मकबरा करीब 3300 वर्ष पुराना है.

रिपोर्ट आगे बताती है कि इस वर्ष के राडार अध्ययन से पहले प्राचीन कब्रों के रास्तों तक पहुंचने के दो अन्य प्रयास किये गए थे जो असफल रहे थे. मकबरे की सबसे ताजा जांच पाॅलिटेक्निक यूनिवर्सिटी आॅफ ट्यूरिन ने नेश्नल ज्योग्राफिक के सहयोग से की है और यह इस मकबरे के अबतक किये गए अध्ययनों में सबसे अधिक विस्तृत है.

पाॅलिटेक्निक यूनिवर्सिटी आॅफ ट्यूरिन के फ्रेंको पोरसेलि द्वारा मिस्त्र के मिनिस्टर आॅफ एंटिक्वुईटीज को पेश की गई वैज्ञानिक रिपोर्ट कहती है, ''हम बेहद विश्वास के साथ इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जीपीआर डेटा राजा तूतनखामेन के मकबरे के आसपास किसी छिपे हुए कक्ष या खजाने के अस्तित्व से संबंधित परिकल्पना का समर्थन नहीं करता है.''

जीपीआर एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग पूर्वेक्षकों द्वारा प्रमुख रूप से तेल, खनिज और गैस की खोज में किया जाता है. रिपोर्ट बताती है कि यह पुरातत्वविदों के लिये भी बेहद महत्वपूर्ण उपकरण है. इसकी मदद से शोधकार्ताओं के लिये यह संभव हो सका कि वे तेजी से कमजोर हो रही प्राचीन मकबरे की नाजुक दीवारों को बिना कोई नुकसान पहुंचाए मानव द्वारा निर्मित कक्षों या सुरंगों से संबंधित जानकारी पा सकें.

मकबरे की दीवारों की दूसरी स्कैनिंग 2016 में की गई
मकबरे की दीवारों की दूसरी स्कैनिंग 2016 में की गईमुहम्मद अल शाहिद/एएफपी/गेटी इमेजेस

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 में तूत के मकबरे के जीपीआर स्कैन में मुख्य कक्ष की पश्चिमी और उत्तरी दीवारों में छिपे हुए द्वारों के होने की संभावना जताई गई थी. 2016 में एक और स्कैन किया गया जो बेनतीजा रहा. 2018 के इस स्कैन ने अंततः इस मुद्दे को विराम दे दिया है. सभी स्कैन फरवरी 2018 में किये गए थे और रिपोर्ट इंगित करती है कि उच्च आवृति वाले यह राडार करीब 7 फुट तक की दीवारों के पार देखकर विस्तृत परिणाम दे सकते हैं. हालांकि दूसरी तरफ कम आवृति वाले राडार अधिक गहराई तक जा सकते हैं लेकिन उतने नतीजे इतने भरोसेमंद नहीं होते हैं.

पोरसेलि ने कहा, ''निष्कर्ष यह है कि मजार के 4 मीटर यानी 13 फुट तक किसी भी दरवाजे या खाली स्थान के कोई सबूत नहीं मिले हैं.''

वे आगे कहते हैं, ''हालांकि यह बेहद निराशाजनक है लेकिन यही अंतिम निष्कर्ष है. हमारे विचार में यह निर्णायक है.''

1923 में वैली ऑफ़ किंग्स में एक मिस्री मजदूर की सहायता से राजा तूत के मकबरे से सामान को हटाते ब्रिटिश पुरातत्त्वविद होवार्ड कार्टर (बाएं) और आर्थर कैलेंडर
1923 में वैली ऑफ़ किंग्स में एक मिस्री मजदूर की सहायता से राजा तूत के मकबरे से सामान को हटाते ब्रिटिश पुरातत्त्वविद होवार्ड कार्टर (बाएं) और आर्थर कैलेंडरहोल्टन आर्काइव/गेटी इमेजेस