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उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार, 20 सितंबर को कहा कि उसे जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट मिली है जो जम्मू-कश्मीर में लोगों के उच्च न्यायालय से संपर्क करने में असमर्थ होने संबंधी दावे का समर्थन नहीं करती। गौरतलब है कि वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के सामने दावा किया था कि घाटी के लोग वहां हाई कोर्ट से संपर्क नहीं साध पा रहे हैं, जिसके बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा था कि अगर कश्मीर के हालात उतने ही गंभीर हैं जितना कि लोग दावा कर रहे रहे हैं तो वह हालात का जायजा लेने खुद श्रीनगर जाएंगे।

हुजेफा ने यह दावा कश्मीर में बच्चों को कथित तौर पर हिरासत में रखे जाने का आरोप लगाने वाले बाल अधिकार कार्यकर्ता इनाक्षी गांगुली और शांता सिन्हा की ओर से किया था। इसके बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से इस बारे में रिपोर्ट मांगी थी।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एस ए नजीर ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील अहमदी से कहा, 'हमें उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट मिली है जो आपके बयान का समर्थन नहीं करती है।'

पीठ ने कहा कि उसे इस संबंध में कुछ 'परस्पर विरोधी' रिपोर्ट मिली हैं लेकिन वह इस समय उन पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती।

सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि वह कश्मीर में बच्चों को कथित तौर पर हिरासत में लिए जाने का मुद्दा उठाने संबंधी याचिका पर सुनवाई करेगी क्योंकि याचिका में नाबालिगों से संबंधित 'महत्वपूर्ण मुद्दे' उठाए गए हैं। इस बेंच ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति को निर्देश दिया कि वह याचिका में उठाये गये मुद्दे पर एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करे।

जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि जब प्राधिकारियों को यह पता चला कि हिरासत में लिया गया एक व्यक्ति नाबालिग है तो उसका मामला तत्काल ही किशोर न्याय बोर्ड के पास भेज दिया गया। मेहता ने कहा, 'इसमें (याचिका) कुछ ठोस मुद्दे उठाए गए हैं जो किसी भी व्यक्ति की सीमा से बहार हैं।'

सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अब दो सप्ताह बाद सुनवाई करेगा। उसनने 16 सितंबर को अहमदी के इस दावे को यह कहते हुए बहुत ही गंभीर बताया था कि लोगों को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय से संपर्क करने में दिक्कतें हो रही हैं। साथ ही न्यायालय ने उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश से इस मामले में तत्काल अपनी रिपोर्ट भेजने का अनुरोध किया था।

प्रधान न्यायधीश रंजन गोगोई ने कहा था कि यदि आवश्यक हुआ, तो वह स्वंय श्रीनगर जाएंगे और वह उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश से भी इस संबंध में बातचीत करेंगे। शीर्ष अदालत कश्मीर में बच्चों को कथित रूप से हिरासत में रखे जाने के मुद्दे पर हस्तक्षेप के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सॉलिसीटर जनरल ने कहा था कि राज्य में सभी अदालतों के साथ-साथ लोक अदालतें भी काम कर रही हैं।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।