कश्मीर में पत्थरबाजों का मुकाबला करेंगी सीआरपीएफ की महिला कमांडो.
कश्मीर में पत्थरबाजों का मुकाबला करेंगी सीआरपीएफ की महिला कमांडो.ANI

जम्मू-कश्मीर में जबसे महिलाओं ने सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने वाले पुरुषों का साथ देना शुरू किया है, घाटी में पत्थरबाजी की घटनाओं में काफी वृद्धि देखने को मिली है. हालांकि, अब जल्द ही ऐसी घटनाओं पर लगाम लगने की पूरी संभावना है क्योंकि सीआरपीएफ की महिला कमांडो अब जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजों का मुकाबला करने को तैयार हैं.

इन महिला कमांडो को सीआरपीएफ द्वारा कड़ा प्रशिक्षण दिया गया है. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, इन महिलाओं की आँखों पर पट्टी बांधकर इन्हे रात के समय होने वाली कार्रवाइयों का प्रशिक्षण देने के अलावा कोई भी खराबी होने पर हथियार को खोलकर एक मिनट से भी कम में उसकी मरम्मत करना भी सिखाया गया है.

सीआरपीएफ की महिला जवानों की टुकड़ी को सभी तरह के हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया गया है. इसमें पंप एक्शन गन, पावा शेल्स गन, पैलेट गन आदि चलाने, मिर्च पाउडर भरे हुए ग्रेनेड फेंकने और आंसू गैस के गोले दागने आदि का प्रशिक्षण शामिल है. फिलहाल घाटी के हालात, वहां के मौसम, हिंसा की तीव्रता की विभिन्न स्थितियां आदि के बारे में उन्हें जानकारी दी जा रही है. इसके बाद उन्हें मैदान में उतारा जा सकता है.

ऐसा पहली बार नहीं है जब संकट की स्थिति से निबटने के लिये सुरक्षा बलों में महिलाओं को शामिल किया गया हो. भारतीय अर्धसैनिक बलों में पहले से ही महिलायें युद्धक भूमिका में तैनात रही हैं. वर्ष 2016 में भी माओवादियों से लड़ने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की महिलाओं की तैनाती की गई थी.

दरअसल, 10 जून, 2017 को सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि महिला दंगाइयों और प्रदर्शनकारियों को संभालने के लिए सैन्य पुलिस में महिलाओं को शामिल करना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा था, "क्योंकि, कई बार, जब हम किसी ऑपरेशन के लिये जाते हैं, हमें लोगों का सामना करना पड़ता है जिनमे कई बार महिलायें भी होती हैं."

24 अप्रैल, 2017 को श्रीनगर में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान एक कश्मीरी छात्रा भारतीय पुलिस (अदृश्य) की ओर पत्थर फेंकती हुई. पत्थरबाजों में महिलाएं भी शामिल हो गई हैं
24 अप्रैल, 2017 को श्रीनगर में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान एक कश्मीरी छात्रा भारतीय पुलिस (अदृश्य) की ओर पत्थर फेंकती हुई. पत्थरबाजों में महिलाएं भी शामिल हो गई हैंReuters

इन महिला जवानों को असॉल्ट राइफलें दी जाएंगी ताकि वे आतंकी हमले के वक़्त ज़वाबी कार्रवाई कर सकें. इसके अलावा हल्के वज़न के सुरक्षा कवच, हैलमेट, लकड़ी की छड़ी, बुलेट प्रूफ जैकेट और मारक तथा सामान्य हथियार भी मुहैया कराए जाएंगे. इनका 45 दिनों का प्रशिक्षण पूरा होते ही इन्हें श्रीनगर, शोपियां, पुलवामा, कुलगाम, बडगाम और अनंतनाग के उन अशांत इलाकों में तैनात किया जाएगा जहां पत्थरबाज़ी की घटनाएं अक्सर ही हाेती रहती हैं.