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जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने के बाद राज्य में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने कुछ राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) यूनिट को घाटी में तैनात करने का फैसला लिया है. एनएसजी विशेष परिस्थितियों में न सिर्फ आतंकवादियों से सीधा लोहा लेगा, बल्कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ-साथ सीआरपीएफ को सघन आबादी वाले क्षेत्रों में आतंकियों से मुकाबले के लिए प्रशिक्षित भी करेगा.

बीएसएफ के पीआरओ विष्णु बंधू ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि एनएसजी का एक दस्ता बीते एक पखवाड़े से श्रीनगर एयरपोर्ट के पास सीमा सुरक्षाबल के एक प्रशिक्षण केंद्र में पुलिस, सीआरपीएफ और बीएसएफ से चुने गए जवानों के साथ आतंकरोधी अभियानों के अभ्यास में जुटा हुआ है.

राज्य में फैली राजनीतिक अस्थिरता के बाद आतंकी हमलों में बढ़ोतरी हुई है. जम्मू और कश्मीर में बीते कुछ समय में आतंकी हमलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है, विशेषकर 8 जुलाई 2016 को सुरक्षा बलों के हाथों हिज़्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वाणी की मौत के बाद.

कमांडो सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस को ट्रेनिंग देंगे जिसमें श्रीनगर हवाईअड्डे पर एंटी हाइजैक ऑपरेशन की निगरानी करना, आतंकी हमले के दौरान हर स्थिति से निपटना और आतंकवाद निरोधी स्किल के गुर सिखाएंगे. एक अधिकारी ने कहा, "खुफिया सूचना के आधार पर जब कभी आतंकी परिस्थितियों में विशेष कौशल की आवश्यकता होगी एनएसजी कमांडो का ऑपरेशन में इस्तेमाल किया जाएगा। इसका फैसला जम्मू-कश्मीर की पुलिस द्वारा लिया जाएगा."

एनएसजी कमांडो एमपी 5 सब मशीन गन, स्नाइपर राइफल, दीवार के उस पार देखने की क्षमता वाला रडार और सी-4 एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल करते हैं.

ऐसा पहली बार नहीं है जब एनएसजी कमांडो जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएस को ट्रेनिंग देंगे. इससे पहले भी वह उन्हें ट्रेनिंग दे चुके हैं.

आतंकविरोधी अभियानों के विशेषज्ञों का मानना है कि रूम-टू-रूम भिड़ंत वाली परिस्थितियों में एनएसडी काफी सहायक होते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार एनकाउंटर के समय अमूमन ऐसी परिस्थितियां बन ही जाती हैं जो सुरक्षाबलों के लिए करो या मरो की स्थिति होती है.

एनएसजी को जम्मू कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों के लिए तैनात करने की योजना गत वर्ष बनी थी और इस प्रस्ताव पर औपचारिक मुहर गत मई माह के दौरान ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लगाई है. संबंधित अधिकारियों ने बताया कि एनएसजी कमांडो का दस्ता पूरी तरह जम्मू कश्मीर पुलिस के अधीन रहेगा, क्योंकि आतंकरोधी अभियानों के संचालन की नोडल संस्था राज्य पुलिस ही है.

जम्मू कश्मीर में एनएसजी के कमांडो 1990 के दशक में भी आतंकरोधी अभियानों के लिए आ चुके हैं, लेकिन एनएसजी को राज्य में आतंकरोधी अभियानों के लिए स्थायी तौर पर पहली बार तैनात किया जा रहा है.

एनएसजी कमांडो को हर आतंकरोधी अभियान का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा, बल्कि इन्हें विशेष परिस्थितियों में ही शामिल किया जाएगा। विशेषकर जब किसी बड़ी इमारत में आतंकी घुसे हों या आबादी वाले इलाके में कोई ऑपरेशन करना हो.