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सांकेतिक तस्वीरReuters

चीन में घातक कोरोना वायरस से 105 और लोगों की मौत के बाद मरने वालों की संख्या सोमवार को 1,770 के पार पहुंच गई। अधिकारियों ने कम महत्व वाले सार्वजनिक स्थानों को बंद करने और बुरी तरह से प्रभावित हुबेई प्रांत में महामारी को नियंत्रित करने के लिए यातायात प्रतिबंध लगाने जैसे कड़े कदम उठाने की घोषणा की है।

सरकारी समाचार एजेंसी 'शिन्हुआ' की एक खबर के अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (एनएचसी) ने बताया कि 2,048 नए मामलों की पुष्टि होने के साथ ही इससे संक्रमित लोगों की कुल संख्या 70,548 हो गई है। इससे रविवार को जिन 105 लोगों की जान गई उनमें से 100 हुबेई में जबकि तीन हेनान और दो गुआंगदोंग में मारे गए।

आयोग ने बताया कि अभी तक कुल 10,844 लोगों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है। वहीं 7,264 लोगों के इससे संक्रमित होने का संदेह है।

हांगकांग में रविवार तक इसके 57 मामलों की पुष्टि हो गई थी, जहां इससे एक व्यक्ति की जान जा चुकी है। वहीं मकाउ में 10 और ताइवान में इससे एक व्यक्ति की जान जाने सहित 20 मामले अभी तक सामने आए हैं। आयोग ने रविवार को एक घोषणा में कहा था कि नए मामलों में काफी गिरावट आई है, जिससे प्रतीत होता है कि इससे नियंत्रण करने के लिए उठाए जा रहे कदम कारगर सिद्ध हो रहे हैं।

एनएचसी के प्रवक्ता मी फेंग ने कहा था, ''वायरस से सबसे अधिक प्रभावित वुहान में संक्रमित और उससे गंभीर रूप से बीमार लोगों के अनुपात में उल्लेखनीय कमी आई है। 28 जनवरी के 32.4 प्रतिशत के मुकाबले 15 फरवरी को यह 21.6 प्रतिशत ही रह गया था।''

मी ने बताया कि हुबेई प्रांत के अन्य हिस्सों में भी गंभीर रूप से बीमार संक्रमितों के अनुपात में कमी आई है। 27 जनवरी को जहां 18.4 फीसदी संक्रमित गंभीर हालत में लाए गए वहीं 15 फरवरी को 11.1 प्रतिशत ऐसे मरीज यहां लाए गए।

मी ने बताया कि चीन के अन्य प्रांतों में भी हालात में सुधार हुआ है और 27 जनवरी के 15.9 प्रतिशत के मुकाबले 15 फरवरी को गंभीर मरीजों का अनुपात 7.2 प्रतिशत रहा।

इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का 12 सदस्यीय दल चीन पहुंच चुका है और चीनी अधिकारियों के साथ संक्रमण को समझने का काम कर रहा है। ट्रडोस ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से भी म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में मुलाकात की।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.