सांकेतिक तस्वीर
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प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को आईसीआईसीआई बैंक-विडियोकॉन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर और विडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के ठिकानों पर छापामारी की. इनमें मुंबई और औरंगाबाद की कुछ जगहें शामिल हैं. बता दें कि इससे पहले जनवरी में सीबीआई ने महाराष्ट्र में चंदा के चार ठिकानों पर छापेमारी की थी.

मामला विडियोकॉन ग्रुप को 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से मिले 3,250 करोड़ रुपये के लोन का है. यह लोन कुल 40 हजार करोड़ रुपये का एक हिस्सा था जिसे विडियोकॉन ग्रुप ने एसबीआई के नेतृत्व में 20 बैंकों से लिया था. विडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत पर आरोप है कि उन्होंने 2010 में 64 करोड़ रुपये न्यूपावर रीन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड (NRPL) को दिए थे. इस कंपनी को धूत ने दीपक कोचर और दो अन्य रिश्तेदारों के साथ मिलकर खड़ा किया था.

आरोप है कि चंदा कोचर के पति दीपक कोचर समेत उनके परिवार के सदस्यों को कर्ज पाने वालों की तरफ से वित्तीय फायदे पहुंचाए गए. आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक से लोन मिलने के 6 महीने बाद धूत ने कंपनी का स्वामित्व दीपक कोचर के एक ट्रस्ट को 9 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दिया.

सीबीआई ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और विडियोकॉन ग्रुप के एमडी वेणुगोपाल धूत के खिलाफ एक नोटिस जारी कर उनके विदेश जाने पर रोक लगा दी है. अधिकारियों ने बताया कि चंदा कोचर, दीपक कोचर और धूत के खिलाफ मामला दर्ज होने के एक हफ्ते बाद लुक आउट नोटिस जारी करने का कदम उठाया गया है. उन्होंने बताया कि यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि विडियोकॉन ग्रुप के लिए 1875 करोड़ रूपये के कर्ज को मंजूरी देने में कथित भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी देश छोड़कर भाग नहीं पाएं.

लुकआउट नोटिस सीधे आव्रजन विभाग को भेजा जाता है औऱ उसमें जिस शख्स को रोका जाना होता है उसके बारे में जानकारी देते हुए निर्देश दिए जाते हैं. एजेंसी से अनुरोध मिलने पर आव्रजन अधिकारी व्यक्ति को हिरासत में भी ले सकते हैं.

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ जारी लुक आउट नोटिस में बदलाव कर दिया था. इसके बाद माल्या 2016 में ब्रिटेन भाग गया था. उन्होंने बताया कि बयान दर्ज कराने के लिए चंदा कोचर के खिलाफ अभी समन जारी नहीं किया गया है। आरोप है कि चंदा कोचर के कार्यकाल में विडियोकॉन ग्रुप और उससे संबद्ध कंपनियों के लिए 1875 करोड़ रूपये के छह लोन को मंजूरी दी गयी. इसमें से दो मामलों में वह मंजूरी देने वाली कमेटी में खुद भी थीं.

सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में बैंकिग उद्योग से जुड़े कई शीर्ष व्यक्तियों के नाम शामिल हैं। इन पर आरोप हैं कि वे सभी मंजूरी देने वाली समिति के सदस्य थे और इनकी भूमिका की जांच की जानी चाहिए.