दिल्ली पुलिस ने बुराड़ी क्षेत्र के एक घर से एक ही परिवार के 11 लोगों के शव किये बरामद.
दिल्ली पुलिस ने बुराड़ी क्षेत्र के एक घर से एक ही परिवार के 11 लोगों के शव किये बरामद.एएनआई

दिल्ली के बुराड़ी इलाके में रविवार को मिली एक ही परिवार के 11 लोगों की लाशों की गुत्थी समय के साथ उलझती जा रही है. पुलिस की अपराध शाखा की जांच में अब खुलासा हुआ है कि घर का बेटा ललित दिमागी रूप से कमजोर था और उसने ही "बड़ पूजा" (अनुष्ठान) के बहाने अपनी पत्नी के साथ मिलकर सभी की हत्या करने के बाद खुद भी आत्महत्या कर ली. मौके पर मिले रजिस्टर में लिखी बातों में सभी को पूजा करने के बहाने फांसी पर लटकाने की बात भी लिखी हुई हैं.

अपराध शाखा के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दस साल पहले ललित के पिता भोपाल दास भाटिया की मृत्यु हो गई थी. वह सेना में थे और घोड़े से गिर जाने से उनके पैर की हड्डी टूट गई थी, जिसके चलते उन्होंने वीआरएस ले लिया था.पिता की मृत्यु के बाद उनका सबसे छोटा बेटा ललित कई महीने तक मौन व्रत पर था. उनकी मौत के बाद मनोरोगी बन चुका ललित दावा करता था कि पिता की आत्मा उसके शरीर में प्रवेश कर जो कहती है, वह उन सब बातों को एक रजिस्टर में लिखता रहता है.

ललित वर्ष 2015 से ही रजिस्टर लिख रहा था, जिन्हे पुलिस ने घटनास्थल से बरामद किया है. ललित ने एक जगह रजिस्टर में लिखा है कि पिता की आत्मा ने ही उसे बड़ पूजा के लिए बोला था. पूजा वाले दिन ललित ने सभी को बोला था कि घर में 10 से 15 मिनट की बड़ पूजा होगी.

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इस पूजा के तहत सभी के हाथ बांधेंगे और गले में चुन्नियां लटकेंगी और इस दौरान सभी के नीचे स्टूल होगा. ललित ने सभी को बोला था कि पूजा होने में सिर्फ 10-15 मिनट लगेंगे जिसके बाद वे सभी स्टूल हटा सकते हैं और हाथों को खोल सकते हैं. पुलिस अधिकारी मान रहे हैं कि ललित ने इसके बाद अपनी पत्नी के साथ मिलकर सभी के नीचे से स्टूल हटा दिए. इसके अलावा उसी दिन ललित द्वारा नौ नई चुन्नियां भी मंगवाई गई थीं.

ललित ने सभी को बताया था कि पूजा में किसको कहां और कैसे खड़ा होना है और गले में चुन्नी डालनी है. पुलिस अधिकारी मान रहे हैं कि ललित ने स्टूल हटाने के बाद पत्नी व मां के साथ खुदकुशी कर ली. बताया जा रहा है कि ललित पहले बोल नहीं पाता था. 3 साल तक चले इलाज के बाद अब वह ठीक से बोलने लगा था. इसके बाद से ही परिजन उसकी बातों पर विश्वास करने लगे थे.

इसके अलावा उसने घरवालों को बताया था है बड़ पूजा के अनुसार, लोगों को वटवृक्ष की शक्ल में आना पड़ता है जिनकी शाखाएं लटकती रहती हैं और माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान खुश होते हैं. इस दौरान घर में भोजन नहीं बनना चाहिए और छह घंटे तक अनुष्ठान करने के दौरान फोन को साइलेंट रखना चाहिए.

घर के मंदिर में मिले दो रजिस्टरों में निर्वाण, वट तपस्या, शून्य जैसे शब्दों का भी जिक्र किया गया है. नोट के मुताबिक, यदि कोई इन नियमों का पालन करेगा, उसकी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी और भगवान उनकी मदद करेंगे. रजिस्टर में सबसे पहली बार अगस्त 2015 में और आखिरी बार 30 जून को बातें लिखी गई हैं. बड़ पूजा के लिए चार दिन मंगलवार, बृहस्पतिवार, शनिवार व रविवार तय किए गए थे.

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रजिस्टर में शनिवार की रात अच्छी बताई गई थी और पूजा के लिए रात एक बजे का समय बताया था. साथ ही कहा गया था कि पूजा को करने से पहले नहाना नहीं है और केवल हाथ व मुंह धोकर ही बैठना है.

यह भी लिखा हुआ था कि सभी को अपने-अपने हाथ पैर खुद बांधने होंगे और पूजा ख़त्म होने के बाद हाथ पैर खोलने के लिए हम लोग एक दूसरे की सहायता कर सकते हैं. रजिस्टर में लिखा हुआ है कि माता जी यानी नारायण देवी बहुत बुजुर्ग हैं और वह साधना करने के लिए स्टूल पर नहीं चढ़ पाएंगी. ऐसे में उन्हें दूसरे कमरे में साधना करानी होगी. इसलिए नारायण का शव कमरे में मिला. वे बेल्ट से आलमारी के हैंडल से लटक गई थी लेकिन उनके मरने के बाद हैंडल से बेल्ट निकल गई थी जिसके चलते पुलिस को शक हुआ था कि किसी ने बेल्ट से उनका गला घोंटा है.

बड़ पूजा वाली रात घर में खाना नहीं बनने की बात थी, इसलिए ललित ने हांडी रेस्टोरेंट से केवल दस रोटियां मंगाई थी, लेकिन उसे किसी ने उन्हें खाया नहीं. हांडी से एक डिलीवरी ब्वॉय रोटी लेकर शनिवार रात 10.40 बजे आया था जिसकी तस्वीर सामने लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई. पुलिस ने उससे पूछताछ की और पुलिस उसे गवाह भी बना सकती है.