सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीरCreative Commons

डॉक्टरों की खराब लिखावट से परेशान इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बहराइच के इमरजेंसी में तैनात मेडिकल अफसर डॉ रमाशंकर गुप्ता पर पांच हजार का जुर्माना लगाया है. डॉ गुप्ता ने दहेज़ हत्या के मामले में महिला की पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार की थी. जिसे कोर्ट ने पढ़ने योग्य नहीं माना.

एक जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने डॉक्टर पर जुर्माना लगाया है. याची शिवपूजन पर दर्ज एफआईआर के अनुसार, छह साल पहले उसका विवाह हुआ था. आरोप है कि दहेज़ की मांग न पूरी होने की वजह से शिवपूजन के परिवार वाले बहू से मारपीट और उत्पीड़न करते थे. इसके बाद मायके वाले अपनी बेटी को घर वापस ले गए. लेकिन कुछ दिन बाद ससुराल वाले सुलह कर उसे वापस ले गए. कुछ दिन बाद उन्हें अपनी बेटी की मौत की सूचना मिली. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला दबाकर हत्या की बात साबित हुई. इन हालात में जस्टिस अनंत कुमार ने शिवपूजन की बेल ख़ारिज कर दी. वहीं ख़राब लिखावट के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाने वाले डॉ गुप्ता को तलब किया गया.

कोर्ट में डॉ गुप्ता ने सफाई दी की काम के बोझ की वजह से उनकी लिखावट बहुत ख़राब हो जाती है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाते समय ऐसा हो जाता है. जिसके बाद जस्टिस अनंत कुमार ने डॉ गुप्ता के इस तर्क को नकारते हुए असंतोषजनक बताया. उन्होंने कहा कि समय-समय हाईकोर्ट और प्रदेश सरकार ने डॉक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वे पोस्टमार्टम व घायलों की रिपोर्ट ऐसी लिखें, जिसे कम से कम पढ़ा तो जा सके. ऐसा करने से त्वरित न्याय में आसानी होगी और मामलों का जल्द निस्तारण होगा.

हाईकोर्ट ने पहले भी डॉक्टरों की खराब लिखावट की वजह से दिए ताजा आदेशों का उल्लेख किया, जिनमें जुर्माना लगाया गया था. इनमें डॉ. आशीष सक्सेना द्वारा बनाई मेडिको लीगल रिपोर्ट की खराब लिखावट की वजह से हाल में लगाए जुर्माने का उल्लेख किया गया. वहीं, प्रदेश के चिकित्सा सेवाओं के महानिदेशक द्वारा जारी नोटिस का उल्लेख किया गया जिसमे चार निर्देश दिए गए थे:

  1. मेडिको लीगल रिपार्ट साफ सुथरी लिखावट में तैयार की जाए
  2. जहां तक संभव हो सादे व आसान शब्दों का उपयोग हो
  3. छोटे और शब्दों के संक्षिप्त रूप का उपयोग न हो
  4. डॉक्टर का नाम, हस्ताक्षर, पद, साफ साफ लिखें

जस्टिस अनंत कुमार ने डॉ. गुप्ता की लिखावट पर नाखुशी जताते हुए कहा कि वे इसे लेकर बहाना नहीं बना सकते. ऐसे में उन पर पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया जाता है. इसे 10 दिन में अवध बार एसोसिएशन के लाइब्रेरी फंड में जमा करवाना होगा. ऐसा नहीं करने पर उनके वेतन से जुर्माना काटा जाएगा. आदेश की कॉपी चिकित्सा सेवाओं के महानिदेशक को भी भेजने के लिए कहा गया है.