तस्वीर मेंः बाबा रामदेव जल्द ही कपड़ों की अपनी श्रृंखला लेकर आने वाले हैं.
तस्वीर मेंः बाबा रामदेव जल्द ही कपड़ों की अपनी श्रृंखला लेकर आने वाले हैं.रायटर्स फाइल फोटो

पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव द्वारा हाल ही में फैशन और परिधानों के व्यवसाय में उतरने की घोषणा करने और स्वदेशी अपील वाले एक वास्तविक वैश्विक ब्रंाड के रूप में खुद को स्थापित करने के प्रयासों को लेकर उद्योग जगत के जानकार उनकी ऐसी चाल की व्यवहार्यता को लेकर अलग-अलग तरह की बातें कर रहे हैं.

दुनिया की सबसे अधिक मैसेजिंग एप व्हाट्एप को चुनौती देने वाली स्वदेशी किंभो एप को वापस लेने की पृष्ठभूमि में इस बात पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या पतंजलि वास्तव में ऐसा कर सकती है या फिर यह सब सिर्फ जुबानी जमाखर्च है. वास्तव में किंभो, जिसके गूगल एप स्टोर पर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचते ही आनन-फानन में वापस लिया गया, से इस बात का संकेत मिल गया है कि पतंजलि को एप को बाजार में उतारने की सोचने से पहले पूरी सावधानी बरतनी चाहिये थी और साथ ही उन्हें अपना होमवर्क भी पूरा करने की आवश्यकता है.

इस बात की उम्मीद व्यक्त की जा रही थी कि ''व्हाट्स अप'' के अनुवादित संस्कृत मतलब वाला, किम्भो, बेहद लोकप्रिय व्हाट्सएप का भारतीय जवाब बनकर सामने आएगा. हालांकि जिस प्रकार से बेहद धूमधड़ाके और प्रचार के साथ इसे बाजार में उतारा गया और फिर अचानक ही वापस ले लिया गया उससे कई लोग अभी तक यह सोच रहे हैं कि क्या पतंजलि वास्तव में एक एमएनसी (बहुराष्ट्रीय कंपनी) साम्राज्य का रूप ले चुकी है.

इतना और कहना काफी रहेगा कि खाद्य और सौंदर्य प्रसाधन के क्षेत्रों में पतंजलि की सफलता को देखते हुए और उसके वफादार उपभोक्ताओं पर नजर रखते हुए बाबा रामदेव की भारतीय उपभोक्ताओं के साथ बेहतर ''जुड़ाव'' के मद्देनजर ऐसा करना कोई असंभव नहीं दिखता.

इसके अलावा स्वामी रामदेव का भारत के बाहर भी प्रशंसकों का एक बड़ा वर्ग है और ऐसे में किसी भी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगा. हालांकि अभी किंभो एक बड़ी गलती लग सकता है लेकिन इसे किसी भी सूरत में असफलता नही माना जा सकता क्योंकि इसमें कई ऐसी विशेषताएं थीं तो व्हाटसएप से कहीं बेहतर थीं.

भारतीय उपभोक्ताओं की बदलती वरीयताओं और देशी और स्वदेशी की ओर बढ़ते रुझान के चलते रामदेव और दूसरों के लिये इस खंड में मौजूद अवसरों का फायदा उठाना बस समय की बात है. ऐसे में ''रुको और देखो'' की नीति का पालन करना बेहतर रहेगा क्योंकि पतंजलि जल्द ही परिधानों की श्रृंखला में अपना हाथ आजमाने जा रही है.

देखा जाए तो जिस प्रकार अपने खाद्य उत्पादों से पतंजलि यूनिलीवर और नेस्ले जैसे एमएनसी प्रतिद्वंदियों को नाकों चने चबवा रही है ऐसे में इस बात पर कोई शक नहीं होना चाहिये कि फैशन के क्षेत्र में उन्हें पांव जमाने से शायद ही कोई रोक पाए.