माधुरी गुप्ता (केंद्र में गुलाबी कपड़ो में) को पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसियों को गोपनीय जानकारी पहुंचाने का दोषी माना गया हैरायटर्स

दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार, 18 मई को 2010 में इस्लामाबाद में तैनात भारतीय राजनयिक माधुरी गुप्ता को पाकिस्तानी आईएसआई के लिये जासूसी करने का दोषी ठहराया है.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सिद्धार्थ शर्मा की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए पूर्व राजनयिक माधुरी गुप्ता को जासूसी और आईएसआई को वर्गीकृत जानकारी उपलब्ध करवाते हुए जानकारी देने के का दोषी ठहराया. यह फैसला गुप्ता के दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा द्वारा गिरफ्तार किये जाने के आठ साल बाद आया है.

हालांकि अदालत ने साक्ष्यों की कमी के चलते गुप्ता को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के अन्य प्रावधानों से बरी कर दिया. अगर उन्हें इन प्रावधानों के तहत भी दोषी करार दिया जाता तो उन्हें कम से कम 14 वर्ष के कारावास का सामना करना पड़ता.

इंडियन एक्स्प्रेस के अनुसार, अदालत ने अपने 40 पन्नों के आदेश में लिखा, ''उसके द्वारा अपने हैंडलरों को कोई दस्तावेज नहीं सौंपा गया था. मेरे ख्याल से अभियोजन पक्ष द्वार प्रस्तुत किया गया ई-मेल आरोपी के विरुद्ध 14 साल के कारावास का मुकद्मा चलाने के लिये पर्याप्त नहीं है.''

गुप्ता को अब अधिकतम तीन साल के कारावास की सजा हो सकती है और सजा की घोषणा होना अभी बाकी है.

कौन है माधुरी गुप्ता?

  1. गुप्ता को 22 अप्रैल 2010 को दो आईएसआई एजेंटों, मुबशार रजा राणा और जमशेद के संपर्क में रहने के चलते गिरफ्तार किया गया था.
  2. वे भारतीय उच्चायोग में द्वितीय सचिव (प्रेस और सूचना) के पद पर कार्यरत थीं और उनकी पहुंच वर्गीकृत दस्तावेजों तक भी थी.
  3. कहा जाता है कि गुप्त सूचना उपलब्ध करवाने के बदले में गुप्ता को पर्याप्त राशि मिली.
  4. डीएनए के अनुसार, उन्होंने 27 वर्षों तक विदेश मंत्रालय के साथ काम किया और उन्हें अक्सर ''स्पष्ट और निडर'' अधिकारी माना जाता था.
  5. उनके सहयोगियों ने भी हमेशा उनकी ''बौद्धिक तीक्ष्णता'' की सराहना की और सबको उम्मीद थी कि उन्हें लंदन या वाॅशिंगटन में बेहद प्रतिष्ठित पोस्टिंग मिलेगी.
  6. कहा जाता है कि गुप्ता सूफी मत के प्रति अपने प्र्रेम को खुलेआम व्यक्त करती थीं और यहां तक कि वे फारसी सूफी कवि रूमी पर डाॅक्टरेट भी कर रही थीं. उर्दू भाषा के प्रति अपने प्रेम और भाषा की अपनी जानकारी के चलते उन्हें कई उर्दू भाषी देशों में पोस्टिंग भी मिली थीं.
  7. वे ईराक, लाईबेरिया, मलेशिया और क्रोएशिया में भी तैनात रही थीं.
  8. कहा जाता है कि उन्हें जमशेद द्वारा जिम के नाम से हनीट्रैप में फंसाया गया.
  9. उन्हें ऐसा लगता था कि वे अंततः एक दिन उसके साथ निकाह करेंगी लेकिन उन्हें इस बात को लेकर शक था कि वे पर्दे (बुर्के) में कैसे रह पाएंगी.
  10. उन्होंने अपनी चिंताओं को एक ईमेल, जो आरोपपत्र का एक हिस्सा भी हैं, में कुछ ऐसे व्यक्त किया, ''जब तक हमारी शादी नहीं हो जाती और जबतक मैं अपनी वर्तमान नौकरी में हूं मुझे तद्नुसार व्यवहर करना और जीना होगा लेकिन जिम को मेरा किसी भी पाकिस्तानी के साथ मिलजा-जुलना बिल्कुल भी पसंद नहीं है. आखिर उसकी अपने ही देश के लोगों को लेकर इतनी बुरी राय क्यों है? जिम का ऐसा व्यवहार मेरी किसी भी नौकरी में बड़ी बाधा बन सकता है. मैं किसी भी हालत में घर में पर्दे के पीछे नहीं बैठ सकती. शादी के बाद न तो वह खुद दूसरे लोगों के साथ घुलेगा-मिलेगा और न ही मुझे मिलने देगा.''