सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम एक बार फिर जस्टिस केएम जोसेफ का नाम पदोन्नति के लिए भेजने में नाकाम रहा
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम एक बार फिर जस्टिस केएम जोसेफ का नाम पदोन्नति के लिए भेजने में नाकाम रहारायटर्स

सुप्रीम कोर्ट काॅलेजियम, जो सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नति के लिये जस्टिस केएम जोसेफ के नाम पर पुर्नविचार करने को मिला था इस बारे में कोई फैसला करने में नाकामयाब रहा और एक बार फिर फैसले को टाल दिया गया.

पांच सदस्यीय काॅलेजियम, जिसमें सीजेआई दीपक मिश्रा और जस्टिस जे चमलेश्वर, रंजन गोगोई, मदन लोकुर और कुरियन जोसेफ शामिल हैं उत्तारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के नाम पर सहमति बनाने में लगातार तीसरी बार नाकामयाब रहे जबकि वे 11 मई की अपनी बैठक में इस बारे में फैसला कर चुके थे.

जस्टिस जोसेफ के उच्च्तम न्यायालय में पदोन्नति का मामला ऐसे समय में अटका जब पहले ही सर्वोच्च न्यायालय में पहले से ही छः न्यायाधीशों की कमी है. शीर्ष अदालत में 31 जजों की नियुक्ति होनी चाहिये. वास्तव में 25 जजों की यह संख्या आने वाले दिनों में और कम रह जाएगी जब 22 जून को जस्टिस चमलेश्वर सेवानिवृत्त हो जाएंगे और चार अन्य न्यायाधीश भी इस वर्ष के अंत तक रिटायर होने वाले हैं.

11 मई की बैठक के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला था कि वे केंद्र के साथ किसी भी टकराव से बचने के लिये जस्टिस जोसेफ के नाम के अलावा अन्य जजों के नाम भी आगे भेजेंगे.

जस्टिस केएम जोसेफ
जस्टिस केएम जोसेफविकिमीडिया कॉमन्स

11 मई के अपने प्रस्ताव में कोलेजियम ने घोषणा की थी, ''मुख्य न्यायाधीश और कोलेजियम के अन्य सदस्यों ने सैद्धांतिक रूप से सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की है कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिये उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस केएम जोसेफ (मूल रूप से केरल उच्च न्यायालय) के नाम की दोबारा सिफारिश की जानी चाहिये. हालांकि ऐसा करने के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नति क लिये अन्य उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के नामों की भी सिफारिश की जानी चाहिये जिसके बारे में विस्तृत चर्चा आवश्यक है. यह बैठक बुधवार, 16 मई 2018 को होने वाली अगली बैठक तक के लिये स्थगित की जाती है.''

अप्रैल के अंत में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नति की कोलेजियम की सिफारिश केंद्र सरकार द्वारा पुर्नविचार के लिये वापस भेज दी गई थी.

यह सिफारिश इसलिये वापस भेजी गई थी क्योंकि सरकार को लगा था कि जस्टिस जोसेफ के मूल स्थान केरल के पास पहले से ही उच्च न्यायपालिका में पर्याप्त प्रतिनिधित्व है.