कोलकाता का हावड़ा पुल.
कोलकाता का हावड़ा पुल.रायटर्स

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा जारी की गई एक हालिया रिपोर्ट में कोलकाता को दिल्ली के बाद भारत का सबसे अधिक प्रदूषित मेट्रो शहर घोषित किया गया है. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शहर की आबोहवा दिल्ली की हवा के मुकाबले अधिक तेजी से खराब हो रही है.

कोलकाता बेहद गंभीर वायु प्रदूषण की जद में है जिसका सही आंकलन नहीं किया जा रहा है और यह यहां के निवासियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल रहा है. बड़े पैमाने पर हो रही निर्माण गतिविधियों, बायोमास जलने और वाहनों की बढ़ती संख्या के चलते प्रदूषण के स्तर में वर्ष 2017-18 के दौरान काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है.

नेश्नल सेंटर फाॅर एटमाॅस्फियरिक रिसर्च और इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ ट्राॅपिकल मीटरोलाॅजी के एक अध्ययन के अनुसार, प्रदूषण के स्तर में हो रही बेतहाशा वृद्धि के चलते कोलकाता की जीवन प्रत्याशा में 6.1 वर्ष की कमी आई है जो दिल्ली के 6.4 वर्ष के बाद दूसरे स्थान पर है.

दिल्ली के बाद अब कोलकाता के सिर भारत की फेफड़ों के कैंसर की राजधानी होने की बदनामी आ गई है. कोलकाता क्लीन एयर अभियान के अनुसार, यहां रहने वाली करीब 70 फीसद आबादी सांस लेने संबंधी दिक्कतों से पीड़ित है जबकि 47 फीसदी वायु प्रदूषण के चलते बेहद गंभीर लोअर ट्रेक्ट के संक्रमण से पीड़ित हैं.

इस अभियान से जुड़े अजय मित्तल कहते हैं कि नागरिकों के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों से बड़े पैमाने पर समझौता किया जा रहा है.

इसके अलावा यह भी सामने आया कि वाहनों की मरम्मत करने वाले 60 प्रतिशत मैकेनिकों के फेफड़ों के काम करने की शक्ति में कमी आ चुकी है जबकि शहर के 79 प्रतिशत ठेली-पटरी वाले फेफड़ों के कामकाज के टेस्ट में बेहतर करने में असफल रहे.

प्रदूषण के स्तर में हो रही खतरनाक बढ़ोतरी बच्चों के लिये बड़ा जोखिम पैदा कर रही है और यहां के करीब 65 प्रतिशत बच्चे फेफड़ों से संबंधी विभिन्न बीमारियों की चपेट में हैं.

कोलकाता के निवासियों का स्वास्थ्य एक विशेष प्रदूषणकारी पदार्थ, पीएम2.5 के चलते खतरे में है. क्रोनिक आॅब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीसिज (सीओपीडी) से पीड़ित मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है और इससे होने वाली मौतों की संख्या में भी.

हालांकि इसे खुशी के शहर के रूप में जाना जाता है लेकिन अब यहां के वातावरण को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह रहने के लिये सबसे बेहतर जगह नहीं रही है.