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श्रीलंका में कोलंबो के मुख्य एयरपोर्ट के पास एक और जिंदा बम मिला है। श्रीलंका एयर फोर्स ने इस बम को सफलतापूर्वक डिफ्यूज कर दिया है। यह जानकारी स्थानीय पुलिस ने दी है। गौरतलब है कि रविवार को ईस्टर के मौके पर श्रीलंका में 8 सिलसिलेवार धमाकों में 290 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और 500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।

पुलिस ने इन धमाकों के सिलसिले कोलंबो के दो इलाकों से 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि पुलिस ने गिरफ्तार लोगों की पहचान अभी तक उजागर नहीं की है। इन धमाकों को पिछले एक दशका का सबसे खतरनाक हमला माना जा रहा है।

पुलिस सूत्रों ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया, रविवार देर राम पुलिस को मुख्य टर्मिनल जाने वाली सड़क के पास 'होम मेड' पाइप बम मिला है। सूत्रों ने बताया, 'यह होम मेड बम था, जिसे पाइप में रखा गया था।' एयरफोर्स के प्रवक्ता कैप्टन गिहान सेनेविरतने ने कहा कि शुरुआती तौर पर यह कहा जा सकता है कि स्थानीय तौर पर बने आईईडी से निर्मित है। उन्होंने कहा कि यह करीब 6 फुट लंबा पाइप था, जिसे अब निकाल दिया गया है।

श्रीलंका में रविवार सुबह और दोपहर को हुए सीरियल ब्लास्ट के बाद बढ़ा दी गई चौकसी के कारण इस बम को फटने से पहले ही डिफ्यूज कर दिया गया है। रविवार को हुए इन आठ धमाकों में चर्चों और फाइव स्टार होटलों को निशाना बनाया गया है, जिसमें दर्जनों विदेशी नागरिकों समेत 215 लोग मारे गए हैं।

हालांकि अभी तक किसी आतंकी संगठन ने इन आत्मघाती हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन विदेशी मीडिया में नैशनल तौहीद जमात का नाम लिया जा रहा है, जो कि एक इस्लामिक चरमपंथी संगठन है। इसका एक धड़ा तमिलनाडु में भी सक्रिय बताया जाता है।

हालांकि इस मामले में खुफिया एजेंसियों का शक कई और संगठनों पर भी है, लेकिन शक के दायरे में पहले नंबर पर तौहीद जमात ही है। आत्मघाती बम का आविष्कार दशकों पहले तमिल ईलम के लिबरेशन टाइगर्स द्वारा किया गया था, लेकिन रविवार को श्रीलंका में जो हमले हुए वे इस्लामिक संगठनों द्वारा कराए जाने का प्रमाण दे रहे हैं। श्रीलंका तौहीद जमात हमेशा से ही वहाबी प्रचार और प्रसार के लिए जाना जाता रहा है। उसका खिंचाव देश के पूर्वी प्रांत की तरफ ज्यादा पाया गया है। वह वहां कट्टरपंथी संदेशों के प्रसार के लिए महिलाओं के लिए बुर्का और मस्जिदों के निर्माण के साथ शरिया कानून को आगे बढ़ाने में लगा है।

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श्रीलंका में ये सीरियल बम धमाके ठीक उसी तरह किए गए हैं, जैसे कि 2016 में ढाका में होली आर्टिशन बेकरी पर आत्मघाती हमला किया गया था। उस हमले में स्थानीय युवकों की संलिप्तता पाई गई थी, लेकिन उन्हें ट्रेनिंग इस्लामिलक स्टेट (आईएस ) ने दी थी। अब तौहीद जमात आत्मघाती हमलों में शामिल है या नहीं, इसे लेकर अभी स्थित साफ नहीं है। पूरी जांच-पड़ताल के बाद ही स्थिति साफ होगी।

चूंकि इस हमले को अंजाम देने के लिए ईस्टर जैसे पवित्र पर्व को चुना गया और उसमें गिरजाघरों को निशाना बनाया गया, इसलिए साफ है कि इसमें निशाना ईसाई धर्म के लोग ही थे और इससे किसी बड़े इस्लामिक जिहाद के भी संकेत नहीं मिलते। शुरुआती आकलन से लग रहा है कि हमले के पीछे लंका के कट्टरपंथी मुसलमान हो सकते हैं। लेकिन आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञों का कहना है कि जिस स्तर के अटैक किए गए हैं उस स्तर के अटैक किसी स्थानीय समूह द्वारा बिना किसी बाहरी फोर्स की मदद के अंजाम दिए जाने मुश्किल हैं।

यह श्रीलंका का एक मुस्लिम चरमपंथी संगठन है, 2014 में उस वक्त आया जब इसके सचिव अब्दुल रैजिक ने बौद्ध धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिए थे। इस संगठन पर वहाबी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने का भी आरोप है। पिछले साल यह संगठन उस वक्त सुर्खियों में आया था जब इसने भगवान बुद्ध की मूर्तियां तोड़ी थीं। जिस तरह श्रीलंका में यह आतंकी संगठन श्री लंका तोहिथ जमात के नाम से जाना जाता है, उसी तरह तमिलनाडु में यह संगठन तमिलनाडु तौहीद जमात के नाम से सक्रिय है।

श्रीलंका की उड़ानों में धमकों के बाद बाधा आ रही है लेकिन वहां के राष्ट्रीय विमानन श्रीलंकन ने यात्रियों से कहा है कि वे प्रस्थान समय से कम से कम 4 घंटे पहले पहुंचे, क्योंकि बांदरानाइक एयरपोर्ट पर सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी गई है।

श्रीलंका में सिविल वार के बाद पिछले एक दशक में यह सबसे खतरनाक हमला था। श्रीलंका के सिविल वॉर में करीब 1 लाख लोग मारे गए थे।