Corona
महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मरीज सामने आ चुके हैं. यहां कोरोना मरीजों की संख्या 39 तक पहुंच गई है.

सरकार ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाते हुए सभी मंत्रालयों और विभागों को सरकारी भवनों में प्रवेश स्थान पर 'थर्मल स्कैनर' लगाने और आगंतुकों को अस्थायी और विजिटर पास जारी करना तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का मंगलवार को आदेश जारी किया.

इसके अलावा राज्य में कोरोना के संक्रमण के बढ़ते मामले के मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार ने सभी सरकारी दफ्तरों को सात दिनों के लिए बंद कर दिया है. उद्धव सरकार के फैसले के मुताबिक राज्य में आपातकालीन सेवा के अलावा सभी विभागों को बंद रखा जाएगा. इसके साथ ही सरकार ने निजी दफ्तरों को आंशिक तौर पर बंद करने का भी निर्णय लिया है, जिससे इस घातक वायरस के फैलने का खतरा कम हो सके.

बता दें कि महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मरीज सामने आ चुके हैं. यहां कोरोना मरीजों की संख्या 39 तक पहुंच गई है. इसके चलते सीएम उद्धव ठाकरे द्वारा आपात बैठक भी ली जा चुकी है. वहीं राज्य के प्रसिद्ध मंदिरों को भी अस्थाई तौर पर बंद किया गया है.

इसके अलावा विभागों में विजिटर पास जारी करने पर भी रोक लगा दी गई है. इसके अलावा राज्य के कई इमारतों और स्मारकों पर भी लोगों के आने जाने पर रोक लगा दी गई है, साथ ही कई ट्रेनों की आवाजाही भी प्रभावित हुई है.

केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कई कदमों की घोषणा करते हुए कहा कि 'हैंड सैनेटाइजर' और साबुन की नियमित आपूर्ति अवश्य सुनिश्चित की जानी चाहिए.

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सांकेतिक तस्वीरPTI

डीओपीटी ने कहा, "फ्लू जैसे लक्षण पाये जाने वाले व्यक्तियों को उपयुक्त इलाज कराने और पृथक रहने आदि की सलाह दी जाती है." डीओपीटी ने कहा कि सभी मंत्रालयों एवं विभागों को सभी आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी गई है, जिनमें सरकारी भवनों के प्रवेश स्थान पर 'थर्मल स्कैनर' (शरीर के तापमान की जांच करने का उपकरण) लगाने, 'हैंड सैनेटाजर' अनिवार्य रूप से रखने, बाहरी लोगों को आने से हतोत्साहित करने और तत्काल प्रभाव से आंगतुकों को अस्थायी एवं विजिटर पास जारी करने को स्थगित करना शामिल है.

इसमें कहा गया है, ''सिर्फ उन्हीं आगंतुकों को इजाजत दी जाएगी, जिनके पास उस अधिकारी की उपयुक्त इजाजत हो जिनसे वे मिलने वाले हैं.''

आदेश में अधिकारियों को गैर जरूरी यात्रा से बचने को कहा गया है. उन्हें यथासंभव वीडियो कांफ्रेंस के जरिये बैठकें करने के अलावा, बैठकें या तो पुनर्निधारित करने या उसमें भाग लेने वालों की संख्या में कमी करने को कहा गया है.

इसमें कहा गया है, ''आधिकारिक ईमेल पर आवश्यक पत्राचार किया जाए और जहां तक संभव हो अन्य कार्यालयों में फाइलें एवं दस्तावेज भेजने से बचा जाए. जहां तक व्यावहारिक हो, कार्यालय भवन के प्रवेश बिंदु पर ही डाक प्राप्त करने को प्रोत्साहित किया जाए.''

आदेश में यह भी कहा गया है कि सरकारी भवनों में सभी व्यायामशालाओं, मनोरंजन केंद्रों और क्रेच को बंद किया जाना चाहिए तथा कार्यस्थल, खासतौर पर अक्सर स्पर्श की जाने वाली चीजों को उपयुक्त रूप से साफ किया जाए तथा बार-बार स्वच्छ किया जाए.

आदेश में छुट्टियां देने में उदारता बरतने को कहा गया है। यह कहा गया है कि एहतियाती उपाय के तहत जब कभी स्व-पृथक रखे जाने का अनुरोध मिले, अवकाश की मंजूरी देने वाले प्राधिकारियों को छुट्टी मंजूर करने की सलाह दी जाती है. आदेश में सभी अधिकारियों को अपने स्वास्थ्य की देखभाल करने और सांस लेने में समस्या या बुखार की जांच कराने को कहा गया है.

इसमें कहा गया है कि अस्वस्थ महसूस होने पर उन्हें अपने रिपोर्टिंग अधिकारी को सूचित करने के बाद फौरन ही कार्यस्थल छोड़ देना चाहिए और घर में पृथक रहने के दिशानिर्देश का पालन करना चाहिए. विभाग के आदेश में उम्रदराज जैसी श्रेणियों में आने वाले अधिक जोखिम वाले कर्मचारियों और गर्भवती कर्मचारियों को अतिरिक्त एहतियात बरतने की भी सलाह दी गई है.

(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)