Corona

देशभर में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर रविवार को 1000 के पार पहुंच गई और इस वायरस से मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 27 हो गया। इसी बीच, केंद्र सरकार ने प्रवासी श्रमिकों द्वारा कोरोना वायरस के सामुदायिक संचरण को रोकने के लिए देशभर में राज्य और जिलों की सीमाओं को सील करने का आदेश दिया और पहले ही सीमाएं पार कर चुके लोगों को 14 दिन पृथक रहने को कहा।

इस बीच भारतीय सेना के एक डॉक्टर और एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) के रविवार को कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई। कर्नल रैंक के डॉक्टर कोलकाता में कमान अस्पताल में सेवा दे रहे हैं, जबकि जेसीओ देहरादून में सेना के एक बेस में तैनात हैं।

सूत्रों ने बताया कि सेना ने उन सभी लोगों का पता लगा लिया है जो इन दोनों के संपर्क में आए हैं और उन्हें पृथक कर दिया गया है। माना जा रहा है कि डॉक्टर और जेसीओ इस महीने के शुरू में राष्ट्रीय राजधानी के पास सेना के एक केंद्र में गए थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर प्रसारित अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में कड़े राष्ट्रव्यापी बंद के कारण हुई कठिनाइयों के लिए देश से माफी मांगी और कहा कि यह आवश्यक था क्योंकि देश जीवन और मृत्यु के बीच लड़ाई लड़ रहा है। उन्होंने हालांकि विश्वास जताया और कहा कि कोरोना वायरस के खतरे के खिलाफ "हम निश्चित रूप से लड़ाई जीतेंगे।" उन्होंने इस लड़ाई में आवश्यक सेवाएं देने वाले अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ अनगिनत श्रमिकों की प्रशंसा की।

Narendra Modi

देश में पिछले 24 घंटों में संक्रमण के 106 सामने आने के बाद रविवार को कोविड-19 के मामले बढ़कर 1,024 हो गए और आठ और लोगों की मौत होने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 27 हो गई। यह जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी।

सामने आये नये संक्रमित मामलों में स्पाइसजेट का पायलट भी शामिल है जिसने विदेश की कोई यात्रा नहीं की है। साथ ही नये मामले नोएडा तथा बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से सामने आये हैं।

21 दिवसीय बंद के पांचवें दिन में प्रवेश करने के बीच बड़े शहरों से प्रवासी कामगारों का पलायन जारी है। ये कामगार बेरोजगार होने के बाद अपने गाँव लौटना चाहते हैं। इनमें से कई बिना भोजन या आश्रय के थे। धर्मार्थ संगठनों, स्वयंसेवकों, धार्मिक संस्थानों और रेलवे सुरक्षा बल सहित सरकारी निकायों ने देशभर में हजारों लोगों को भोजन कराया लेकिन कई लोग सुरक्षा के दायरे से बाहर रहे।

दिल्ली से मध्य प्रदेश स्थित अपने गृहनगर के लिए रवाना हुए एक प्रवासी श्रमिक की 200 किलोमीटर से अधिक पैदल चलने के बाद उत्तर प्रदेश में कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। राष्ट्रीय राजधानी, महाराष्ट्र और केरल सहित देश के विभिन्न हिस्सों से प्रवासी श्रमिकों के बड़े पैमाने पर पलायन के कारण भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई।

केरल में हजारों लोग राहत शिविरों से बाहर आए और मांग की कि उन्हें उनके घरों तक जाने की अनुमति दी जाए। दिल्ली की एक झुग्गी में रहने वाली 30 वर्षीय सावित्री मथुरा राजमार्ग पर अपना सामान सिर पर रखकर जा रही थी। उसने पीटीआई से कहा, ''लोग किसी वायरस के खतरे के बारे में बातें कर रहे हैं जो हम सभी को मार सकता है। मुझे ये सब समझ में नहीं आ रहा है। एक माँ के रूप में व्यथित हूं कि मैं अपने बच्चों को खिला नहीं पा रही हूं। मदद करने के लिए कोई नहीं है। सभी अपने जीवन को लेकर चिंतित हैं।''

Anand Vihar

उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में स्थित अपने गांव के लिए 400 किलोमीटर पैदल चलने के लिए दृढ़ संकल्पित सावित्री ने कहा, ''हम यदि यहां रहे तो किसी भी बीमारी से पहले, भूख से मर जाएंगे।'' दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा के पास स्थित आनंद विहार टर्मिनल के पास सैकड़ों प्रवासी श्रमिक भी फिर से एकत्रित हो गए, इस उम्मीद के साथ कि वे अपने गांवों के लिए बसों में सवार होंगे लेकिन पुलिस द्वारा उन्हें वापस कर दिया गया। बड़ी संख्या में श्रमिकों को राजमार्गों और यहां तक ​​कि रेलवे पटरियों पर समूहों में चलते देखा गया।

ऐसी आवाजाही से इस वायरस के समुदायिक संचरण के जोखिम को लेकर चिंतित केंद्र ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन को सभी राज्य और जिला सीमाओं को प्रभावी ढंग से सील करने के लिए कहा और चेतावनी दी कि पाबंदियों का उल्लंघन करने वालों को सरकारी इकाइयों में 14 दिन के लिए पृथक कर दिया जाएगा।

कैबिनेट सचिव राजीव गौबा और केंद्रीय गृहसचिव अजय भल्ला ने मुख्य सचिवों और डीजीपी के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि शहरों में या राजमार्गों पर लोगों की कोई आवाजाही न हो क्योंकि देश भर में लॉकडाउन है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ''देश के कुछ हिस्सों में प्रवासी श्रमिकों की आवाजाही हुई है। निर्देश जारी किए गए हैं कि जिला और राज्य की सीमाओं को प्रभावी रूप से सील किया जाना चाहिए।''

राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया था कि शहरों या राजमार्गों पर लोगों की आवाजाही न हो और बंद का कड़ाई से कार्यान्वयन हो। राज्यों से यह भी कहा गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि बंद की अवधि के दौरान उनके कार्यस्थल पर मजदूरों को मजदूरी का बिना किसी कटौती के समय पर भुगतान हो।

सरकार के बयान में कहा गया कि इस अवधि के लिए मजदूरों से मकान के किराये की मांग नहीं की जानी चाहिए। जो मकान मालिक मजदूर या छात्रों को परिसर खाली करने को कह रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

अन्य राज्य के नेताओं के अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने राज्यों में प्रवासियों श्रमिकों को अपने स्थान पर बने रहने के लिए कहा और उन्हें भोजन और अन्य सुविधाओं का वादा किया।

भारतीय रेलवे ने कहा कि वह अब आवश्यक वस्तुओं को पहुंचाने के लिए विशेष पार्सल वैन ट्रेनें चलाएगा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि अचानक बंद से "घबराहट" और "भ्रम" उत्पन्न हुआ है। उन्होंने इस घातक बीमारी से निपटने के लिए घोषित किए गए पूर्ण बंद के अलावा अन्य कदम उठाने का आग्रह किया।

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सांकेतिक तस्वीरPixabay

राहुल ने कहा कि भारत में दैनिक आय पर निर्भर रहने वाले लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है जिससे महामारी के परिप्रेक्ष्य में सभी आर्थिक गतिविधियों को एकतरफा रोक देना ठीक नहीं है। उन्होंने आशंका जताई, ''पूरी तरह आर्थिक बंद से कोविड-19 के कारण मरने वालों की संख्या खतरनाक रूप से बढ़ जाएगी।''

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की लड़ाई पर सीधी प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए रोजाना 200 से अधिक लोगों के साथ संवाद करते हैं। पीएमओ ने कहा कि प्रधानमंत्री के इस तरह के संवाद में राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों और राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों को किये जाने वाले फोन कॉल शामिल हैं।

पीएमओ की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि मोदी देश के विभिन्न हिस्सों में डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य कर्मचारियों और स्वच्छता कर्मचारियों से भी फोन के माध्यम से संपर्क करते हैं।

कई मंत्रियों के साथ ही विभिन्न सरकारी विभागों ने कोरोना वायरस की लड़ाई के लिए दान की घोषणा की। वहीं कई कॉरपोरेट घरानों ने भी राहत कोष में अपने योगदान की घोषणा की। सरकार ने कहा कि कंपनियों द्वारा इस तरह के योगदान उनकी जरूरी कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) खर्च के रूप में होंगे।

कई अन्य देशों की तुलना में भारत में मौतों की कुल संख्या अभी भी कम है लेकिन विशेषज्ञों में इसको लेकर व्यापक चिंताएं हैं कि आंकड़े में अचानक वृद्धि देखी जा सकती है और संक्रमण के सामाजिक संचरण को रोकने के लिए सामाजिक दूरी बनाये रखना ही एकमात्र तरीका है।

दुनिया भर में इस वायरस से 30,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है जिसमें अकेले यूरोप में 20,000 लोगों की मौत हुई है। वहीं स्पेन और इटली में एक दिन में 800 से अधिक मौतें हुई हैं। इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए दुनिया की आबादी का लगभग एक तिहाई लॉकडाउन में है। वहीं इससे नौकरियां, उत्पादन और आर्थिक गतिविधियां रुक गई हैं।

चीन के वुहान में प्राधिकारियों ने शहर को आंशिक रूप से फिर से खोलने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिये हैं। वहां दो महीने से अधिक समय तक 1.1 करोड़ लोग करीब करीब पृथक रहे। कोरोना वायरस संक्रमण सबसे पहले चीन के वुहान में ही सामने आया था और यह बाद में पूरी दुनिया में एक संकट बन गया और जिसे 'महामारी' घोषित कर दिया गया है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.